खेलPosted at: Sep 19 2019 5:58PM इतिहास दोहराने के लक्ष्य के साथ उतरेंगे सुशील
नयी दिल्ली, 19 सितंबर (वार्ता) नौ साल बाद विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में वापसी कर रहे दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार कजाखिस्तान के नूर सुल्तान में शुक्रवार को फ्री स्टाइल मुकाबलों में अपने 74 किग्रा वर्ग में में इतिहास दोहराने के मजबूत इरादे से उतरेंगे।
सुशील 2020 के टोक्यो ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य रखते हैं और इसके लिए उन्हें विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करना होगा। सुशील ने नौ वर्ष पहले मॉस्को में हुई विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था जो इस प्रतियोगिता में देश का एकमात्र स्वर्ण भी है। सुशील ने ट्रॉयल जीतकर नौ साल बाद इस प्रतियोगिता में उतरने का हक पाया है।
पिछले साल सुशील ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था लेकिन जकार्ता एशियाई खेलों में उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा था। सुशील के साथी खिलाड़ी रहे योगेश्वर दत्त का मानना है कि जितना अनुभव सुशील के पास है उसके दम पर वह विश्व चैंपियनशिप से देश के लिए ओलम्पिक कोटा हासिल कर लेंगे।
अनुभवी सुशील पर 74 किग्रा भार वर्ग में सभी की निगाहें रहेंगी जो एक बार फिर देश के लिये ओलंपिक पदक लाने का लक्ष्य रख रहे हैं। ओलंपिक में कांस्य और रजत जीत चुके सुशील का लक्ष्य टोक्यो में स्वर्ण जीतना है लेकिन इसके लिये पहले उन्हें विश्व चैंपियनशिप में अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप खेलना होगा। सुशील विश्व चैंपियनशिप में अपने अभियान की शुरुआत क्वालिफिकेशन दौर से करेंगे जहां उनका मुकाबला अजरबेजान के खादजीमुराद गादझियेव से होगा।
सुशील के साथ शुक्रवार को 70 किग्रा में करण, 92 किग्रा में परवीन और 125 किग्रा में सुमित उतरेंगे। करण का क्वालिफिकेशन में उज्बेकिस्तान के इख्तियोर नवरुजोव से, परवीन का क्वालिफिकेशन कोरिया के चांगजेई सुई से और सुमित का क्वालिफिकेशन में हंगरी के डेनियल लिगेटी से मुकाबला होगा।
अपने शिष्य सुशील का हौसला बढ़ने पद्मभूषण से सम्मानित कोच महाबली सतपाल कजाखिस्तान के नूर सुल्तान पहुंच चुके हैं। उल्लेखनीय है कि सुशील ने 2010 में जब मॉस्को में स्वर्ण पदक जीता था तब सतपाल उनके साथ मॉस्को में मौजूद थे। सुशील के 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक, 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक और 2018 के गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने के समय भी सतपाल अपने शिष्य का हौसला बढ़ाने उनके साथ मौजूद थे।
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वार्ता