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राजनीति में विकास का मुद्दा मूलमंत्र -पूनियां

राजनीति में विकास का मुद्दा मूलमंत्र -पूनियां

जयपुर 17 मई (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डा सतीश पूनियां

ने राजनीति में विकास के मुद्दे को मूलमंत्र बताते हुए कहा है कि उन्होंने इस मुद्दे को नकारने वालों को गलत साबित किया है।

डा पूनियां अपने आमेर विधानसभा क्षेत्र के आमेर शहर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में विधायक कोष से 30 लाख की लागत से नए भवन का निर्माण और बेहतर शिक्षा सुविधाओं के विस्तार के विकास कार्यों का शुभारंभ करने के अवसर पर मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि जनप्रतिनिधि अपना फर्ज पूरा करता है, वह ईमानदारी से अपने कर्तव्य को पूरा करता है, जो उसका नैतिक कर्तव्य है। परिवार और संगठन के संस्कार से, संगठन के विचार और व्यवहार से उन्हें यह आशीर्वाद मिला है कि समाज के लिए कुछ कर पाये। इसलिए राजनीति से इतर भी, जाति, पंथ और मजहब इनसे ऊपर उठकर काम करना सीखा है।

उन्होंने कहा कि लेकिन एक धारणा होती है जो नहीं जानता होगा, उसको लगता होगा कि सफेद कुर्ते पजामे का कोई शख्स ऐसा होता होगा, जो फिल्मों में अलग दिखाया जाता है। उन्होंने कहा " उन्हें वर्ष 2013 में आमेर से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी से टिकट मिला, तब बड़ी खुशी हुई लेकिन चुनौतियां भी थी। उस समय पार्टी की प्रचंड हवा के बावजूद मैं चुनाव हार गया, यह मेरे साथ ऐसा ही हुआ कि किसी का बारात में नाम लिख दिया गया हो और सज धज के तैयार बाराती खड़ा हो और उसको कोई छोड़कर चला जाए, 163 की बारात में हम कहीं नहीं थे।”

उन्होंने युवाओं को सीख देते हुए कहा कि जिंदगी में सफलता और विफलता दो पक्ष हैं, कई बार आदमी को हार निराश कर देती है, जीत में आनंद तो है और उसमें चुनौतियां भी हैं, लेकिन हार से और विफलता से सामना कैसे करें। उन्हें पार्टी में बरसों काम करने के बाद यह अवसर मिला था।

उन्होंने बताया " उनका पहला प्रयास सफल नहीं हुआ तो दूसरा और दूसरे प्रयास में भी 329 वोटों से चुनाव की दौड़ में बाहर हो गए। इस हार के बाद मैं रोया, इसके अगले दिन मुंह धोया और इसी इरादे के साथ चला कि कोई मेरे साथ चलेगा कि नहीं चलेगा, कोई वोट देगा कि नहीं देगा, कोई जाति बिरादरी करेगा, लेकिन मुझे विकास के मुद्दे को मूलमंत्र मानकर जाति की धारणा को तोड़ना है, कितनी ही प्रचंड हवा किसी के खिलाफ चले, किसी के पक्ष में चले, मुझे आमेर का जनप्रतिनिधि बनना है, यह संकल्प लेकर शिला माता का आशीर्वाद लिया और मैं मैदान में आ गया।”

जोरा

जारी वार्ता

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