अगरतला, 04 अक्टूबर (वार्ता) त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने इस माह के शुरू में पांच मीडिया घरानों पर हुए हमलों और विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालयों तथा मुख्यालय पर तोड़फोड़ की जांच से अदालत को सात अक्टूबर तक अवगत कराने का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय में साेमवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सूचित किया गया कि अगरतला शहर में चार मीडिया आउटलेट्स पर हमला करने के मुख्य आरोपियों में से एक भाजपा युवा मोर्चा के नेता रघुनाथ लोध को रविवार को शहर में गिरफ्तार कर लिया गया और एक स्थानीय अदालत ने उसे दो दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। त्रिपुरा पुलिस की अपराध शाखा दूसरे आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सरकार जांच की प्रगति पर न्यायालय को संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी है।
मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और एस जी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई गुरूवार को करने के निर्देश दिए और सरकार को जांच की प्रगति से अवगत कराने का निर्देश दिया। इससे पहले अदालत ने नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह जांच की प्रगति के बारे में सोमवार को अदालत को जानकारी दे लेकिन राज्य सरकार ऐसा करने में विफल रही।
गौरतलब है कि यह घटना 25 दिन पहले हुई थी और इसमें शामिल लोगों की तत्काल पहचान भी कर ली गई थी लेकिन इस मामले की उच्च न्यायालय में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम के तहत पुलिस ने रघुनाथ की गिरफ्तारी दिखाई और तुरंत उसे अदालत में पेश किया गया। इस मामले में जैसा अपेक्षित था, चूंकि पुलिस केस डायरी पेश करने में सक्षम नहीं थी और इसके बाद अदालत ने उसे जेल भेज दिया।
हालांकि, भाजपा सूत्रों ने दावा किया कि रघुनाथ को गिरफ्तार नहीं किया गया था, और उसने भाजपा-आईपीएफटी सरकार का चेहरा बचाने के लिए पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। रघुनाथ सहित सभी आरोपित व्यक्ति पार्टी के सभी कार्यक्रमों में शामिल होते रहे थे जिसमें शहर में हुए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम भी शामिल हैं,लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया।
हरिपदा दास नाम के एक व्यक्ति ने पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ पिछले 20 सितंबर को एक जनहित याचिका दायर की थी और अदालत ने इस मामले में दो सप्ताह का नोटिस दिया था और मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्राथमिकी दर्ज करने और भाजपा की रैली से अपराधियों के वीडियोग्राफ और सीसीटीवी फुटेज जमा करने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की
याचिकाकर्ता की वकील सुश्री राजश्री पुरकायस्थ ने अदालत में तर्क दिया कि जिन आरोपियों की पहचान सबूतों के साथ की गई थी , राज्य सरकार ने पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि वे सभी सत्तारूढ़ भाजपा से संबंधित हैं। हमले और हिंसा छिटपुट रूप से आज तक जारी है, क्योंकि पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे लोगों में विशेष रूप से विपक्ष के समर्थकों और मीडियाकर्मियों में डर फैल गया है। जितेन्द्र वार्ता