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होलिका दहन के लिए दो सौ टन गो काष्ठ भेजी जायेगी गुजरात-गुप्ता

होलिका दहन के लिए दो सौ टन गो काष्ठ भेजी जायेगी गुजरात-गुप्ता

जयपुर 16 मार्च (वार्ता) पर्यावरण को बचाने एवं गाय संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस बार राजस्थान की राजधानी जयपुर में करीब पांच सौ स्थानों पर गाय के गोबर से बनी लकड़ी से होलिका दहन किया जायेगा वहीं होली पर दौ सौ टन गौ काष्ठ गुजरात भेजा जा रहा हैं।

भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अतुल गुप्ता ने शनिवार को यहां मीडिया को बताया कि गुजरात सरकार ने इस बार होली पर होलिका दहन गाय के गोबर से बनी लकड़ी ही करना अनिवार्य कर दिया गया है और इस कारण वहां गौ काष्ठ की जरुरत पड़ी और इसके लिए राजस्थान से दो सौ टन गोकाष्ठ भेजने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई हैं और इसके लिए रविवार को यहां से 40 मीट्रिक टन गो काष्ठ तीन ट्रकों में गुजरात के लिए रवाना की जायेगी।

श्री गुप्ता ने कहा कि सबसे पहले सात वर्ष पहले गाय के गोबर से लकड़ी बनाना जयपुर की श्री पिंजरा पोल गौशाला में काम शुरु किया गया और देश में सबसे पहले इसी गौ शाला से इसे राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम बनाने का कार्यक्रम किया गया। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से लकड़ी बनाने के व्यवसायीकरण को जन जन तक पहुंचाकर गौशालाओ को स्वावलंबन बनाया जाना मूल भावना हैं लेकिन इस विष्य को जनता का प्रिय भाव बनाना, वह विज्ञान के द्वारा ही संभव हैं।

उन्होंने कहा कि एक जगह होलिका दहन में करीब 150 किलोग्राम गो काष्ठ लगती हैं और इससे 27 प्रतिशत ऑक्सीजन निकलती हैं जबकि अन्य लकड़ी होलिका दहन पर 500 किलो लकड़ी चाहिए और उससे 100 प्रतिशत कार्रबन ऑक्साइड निकलती हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि गाय संरक्षण की जागृति के लिए गुजरात में गोकाष्ठ से होलिका दहन अनिवार्य किया गया है जो देश में एक बड़ा संदेश देने का काम किया गया है। इससे पर्यावरण को बचाने में बड़ी मदद पहुंचेगी।

उन्होंने बताया कि गुजरात के अलावा राजस्थान में जयपुर में पांच सौ जगह पर होलिका दहन के लिए गौकाष्ठ के लिए बुकिंग हो चुकी है वहीं उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के चेन्नई से भी मांग की गई हैं। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु भी पेड़ कटाई पर पाबंदी लगाना चाहता हैं और गोकाष्ठ की आपूर्ति की मांग की है। गोकाष्ठ तैयार करने के प्रशिक्षण की भी बात हुई हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रकार आठ से दस राज्यों में गौकाष्ठ भेजा जायेगा और इसके प्रति जागरुकता फैलाने का काम किया जायेगा ।

उन्होंने बताया कि सौ से अधिक स्वयं सहायता समूह ने कम से कम 2000 टन गोबर की लकड़ी बनाई हैं और लगभग 70 प्रतिशत की खपत हो चुकी है और करीब 30 प्रतिशत शेष हैं। इसकी क्षमता को और बढाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि गोकाष्ठ की मांग बढ़ती जा रही है लेकिन जब सरकारें इसके प्रति आगे आयेगी तो जहां इसकी मांग और बढ़ेगी वहीं पर्यावरण और गाय संरक्षण को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे हमारा अभियान भी सार्थक होगा।

उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य प्रतिदिन दो हजार टन गोकाष्ठ का उत्पादन करने का हैं और रविवार को वह राज्य के गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत से मुलाकात करेंगे और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से निवेदन किया जायेगा कि गोकाष्ठ को बढ़ावा देने के लिए पेड़ो की कटाई पर रोक लगे और इस वर्ष नहीं तो कम से कम अगले वर्ष होली पर होलिका दहन गोकाष्ठा से किया जाना अनिवार्य किया जाये।

उन्होंने बताया कि राजस्थान में श्री पिंजरापोल, पथमेड़ा, राजलदेसर सहित सौ से अधिक गोशालाओ में गाय के गोबर से लकड़ी बनाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से दीपक एवं गोकाष्ठ तैयार करने के काम से जहां गोशालाओं एवं किसानों को संबल मिलेगा वहीं इससे पर्यावरण एवं गाय संरक्षण को भी बल मिलेगा।

जोरा

वार्ता

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