नयी दिल्ली,14 सितंबर (वार्ता) अखिल भारतीय खेल परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा ने सभी राज्यों से अपील की है कि वे पदक विजेता खिलाड़ियों को दी जाने वाली नगद पुरस्कार राशि में समानता रखें।
मल्होत्रा ने संबंद्ध राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने पत्र में यह बात उठायी है कि नगद पुरस्कारों में असमानता न हो और सभी राज्य एकसमान नगद पुरस्कार नीति अपनायें। भारत ने 18वें एशियाई खेलों में 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक सहित कुल 69 पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
जहां एक राज्य अपने स्वर्ण पदक विजेता को तीन करोड़ रूपये दे रहा है वहीं उसका पड़ोसी राज्य अपने स्वर्ण पदक विजेता को मात्र 26 लाख रूपये दे रहा है। एक राज्य से चार स्वर्ण विजेताओं सहित कुल 20 पदक विजेताओं को मिलने वाली राशि सिर्फ तीन करोड़ रूपये पहुंच रही है जबकि एक राज्य के स्वर्ण विजेता को तीन करोड़ रूपये मिल रहे हैं।
मल्होत्रा ने पुरस्कार राशि में बड़ी असमानता का उदाहरण देते हुये कहा,“ एक राज्य ने एशियाई खेलों में भारत के पहले हेप्टाथलन चैंपियन को 10 लाख रूपये और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है जबकि उसका पड़ोसी राज्य दो रजत पदक जीतने वाली फर्राटा धाविका को डेढ़ डेढ़ करोड़ रूपये मिलाकर कुल तीन करोड़ रूपये दे रहा है।”
उन्होंने अपने पत्र में कहा,“ दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र या हरियाणा के एथलीटों को एशियाई चैंपियन बनने के लिये एक जैसा पसीना बहाना पड़ता है लेकिन जब नगद पुरस्कारों की बात आती है तो देश के अंदर ही राज्यों में अलग अलग नगद पुरस्कार सामने आते हैं जो खिलाड़ियों को हतोत्साहित कर सकते हैं। एक राज्य का कांस्य पदक विजेता दूसरे राज्य के स्वर्ण पदक विजेता से ज्यादा नगद पुरस्कार राशि हासिल कर लेता है जो कतई उचित नहीं है।
मल्होत्रा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक अलग पत्र लिखकर उनसे अपील की है कि हेप्टाथलन चैंपियन स्वप्ना बर्मन को दी जाने वाली 10 लाख रूपये की पुरस्कार राशि के अपने फैसले पर वह पुनर्विचार करें और नगद पुरस्कार मामले में हरियाणा की नीति का अनुसरण करें।