Friday, Apr 26 2024 | Time 14:40 Hrs(IST)
image
लोकरुचि


राधारमण मंदिर में भक्तिरस की बयार

राधारमण मंदिर में भक्तिरस की बयार

मथुरा, 26 दिसम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में कान्हा नगरी मथुरा के वृन्दावन के सप्त देवालयों में अनूठी पहचान बना चुके राधारमण मंदिर में जारी शीतकालीन निकुंज सेवा महोत्सव में भक्तिरस की बयार बह रही है।

ब्रज की आध्यात्मिक विभूति एवं मंदिर के सेवायत आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि ठाकुर राधारमण मंदिर का विग्रह स्वयं प्राकट्य है। इस मंदिर में लगभग 500 वर्ष से माचिस का प्रयोग नही किया गया क्योंकि तब से ही मंदिर में अग्नि प्रज्वलित हो रही है। इस मंदिर की एक अन्य विशेषता यहां की सेवा भाव प्रधानता है जिसके तहत पांच दिसम्बर से प्रारंभ हुए इस महोत्सव में ठाकुर राधारमण लाल की विलास यात्रा जारी है जो 7 जनवरी तक जारी रहेगी।

उन्होंने बताया कि सामान्यतया अन्य मंदिरों में वार्षिकोत्सव पर ठाकुर की सेवा ,पूजन एवं अष्टयाम सेवा तक ही सीमित होती है लेकिन इस मंदिर में बालस्वरूप में सेवा होने के कारण वर्तमान में राग, भोग एवं श्रृंगार की अद्वितीय सेवा हो रही है जो श्रीगोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा स्थापित पद्धति के अनुरूप हो रही है। बाल स्वरूप में सेवा होने के कारण जहां ठाकुर को भोग ऋतु के अनुसार अर्पण किया जा रहा है वहीं जिस प्रकार से बच्चे को सोने के पहले उसकी मां लोरियां गाकर सुलाती है उसी प्रकार देश के जाने माने कलाकार गायन, वादन एव नृत्य की त्रिवेणी के माध्यम से ठाकुर को अपने अपने तरीके से सेवा अर्पित कर रहे हैं।

इस दिशा में अब तक इसके साथ ही दामोदर शर्मा, सुजीत ओझा, डा देवाशीष डे, गिरजादेवी की शिष्या सुनन्दा शर्मा जैसे देशभर के मूर्धन्य कलाकार अपनी गायन, वादन एवं नृत्य प्रस्तुति से ठाकुरजी की आराधना कर रहे हैं। मदालसा सखी ने तो ठाकुर की निकुंज अनाज एवं सूखे मेवों से करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

     सेवायत आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी के अनुसार इस महोत्सव में अष्टयाम सेवा पद्धति के अनुरूप प्रातः मंगला आरती से रात्रि में शयन आरती पर्यंत नौ झांकियों एवं सात आरतियों से जब सेवा होती है तो मंदिर ही नही बल्कि उसके आसपास के कोने कोने में कृष्ण भक्ति की गंगा प्रवाहित होने लगती है। इन आरतियों के माध्यम से ठाकुर का आशीर्वाद लेने के लिए न केवल वृन्दावनवासियों में होड़ लगी है बल्कि वर्तमान में वृन्दावन आनेवाला शायद ही कोई तीर्थयात्री होगा जो इस धार्मिक सरिता में डुबकी न लगाना चाहेगा क्योंकि इतिहास साक्षी है कि जिस किसी ने इस मंदिर की भाव प्रधान सेवा में पूर्ण समर्पण के साथ पूजन अर्चन किया उसके जीवन के हर भाग में बाधाएं फूल बन जाती हैं और उसका जीवन धन्य हो जाता है।

         लखीमपुर की 93 वर्षीय बुजुर्ग विनोदिनी मिश्रा, गोंडा के शिक्षक राम विलास पाण्डे, मुम्बई के तीर्थराज, हरियाणा के अजेश धूपड़ आदि के अनुभव इसकी पुष्टि करते हैं। रसोई सेवा करने  में मंदिर के सेवायत आचार्य शशांक गोस्वामी, सौरभ गोस्वामी एवं पुष्पांग गोस्वामी शुचिता से किसी प्रकार समझौता करने को तैयार नही होते हैं।

         मंदिर के सेवायत आचार्य सुवर्ण गोस्वामी ने बताया कि प्रत्येक झांकी में समयानुसार भक्तों को प्रसाद उन्मुक्त भाव से वितरित किया जा रहा है। महोत्सव राग सेवा के अंतर्गत नित्य पदावली गायन वैष्णव मंडली द्वारा महामंत्र संकीर्तन हो रहा है। ठाकुरजी को नित्य नवीन पोशाक व आभूषण धारण कराए जा रहे हैं। ठाकुर की  पोशाक विशेष रूप से वृन्दावन में बनवाई गई है तथा मंदिर की ऋतु एवं उत्सव के अनुरूष विशेष साज-सज्जा हो रही है।

        इस अष्टयाम सेवा महोत्सव में नित्य लीला प्रविष्टि ब्रह्मलीन जगद्गुरू श्री पुरूषोत्तम गोस्वामी  महाराज की प्रेरणा एव्र भावना के अनुरूप , वेणुगोपाल गोस्वामी, अभिनव गोस्वामी द्वारा भी संपादित की जा रही है।  

        आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी के अनुसार इस बार के निकुंज सेवा महोत्सव में ब्रज के पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। मंदिर एवं उसके आसपास के परिसर में प्लास्टिक के उपयोग को रोका जा रहा है तथा भक्तों द्वारा प्लास्टिक आदि में पुष्पादिक भेंट स्वीकार नही की जा रही है।

        उधर इस बार महोत्सव में ठा.राधारमण लाल के लिए प्रतिदिन स्थानीय पुष्पों के साथ साथ  पश्चिम बंगाल के फूल एवं सोला के फूल भी आ रहे है साथ ही ठाकुर के बीड़ा में  प्रतिदिन बनारसी पान का उपयोग ही किया जा रहा है। शीत लहर को देखते हुए केसर और हिना इत्र से ठाकुर की मालिश की जा रही  हैं। ठाकुर के भोग में अधिकतम मेवा एवं केसर का उपयोग किया जा रहा है तो ठाकुर का जलाभिषेक केसर के पानी से कराया जा रहा है साथ ही ठाकुर के सामने अंगीठी रखी जा रही है।रात्रि के समय ठाकुर टोला और मोजे धारण कर औलाई में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। कुल मिलाकर इस अनूठी सेवा का अनुभव ठाकुर की प्रत्यक्ष आराधना कर के ही किया जा सकता है।

सं प्रदीप

वार्ता

image