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अधूरी जांच के चलते 90 प्रतिशत से ज्यादा मरीज ले रहे हैं मधुमेह की दवा: डॉ कुमार

नयी दिल्ली 19 अप्रैल (वार्ता) एप्रोपीरीएट डायट थेरेपी सेंटर के संस्थापक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) डॉ एस कुमार ने देश में लगातार मधुमेह मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए आज दावा किया अति आधुनिक जांच उपलब्ध होने के बावजूद 90 प्रतिशत से ज्यादा मधुमेह पीड़ित अधूरी जांच के चलते और पूरी जानकारी न होने के कारण दवा और इन्सुलिन ले रहे हैं।
डॉ कुमार ने यहां यह दावा करते हुये कहा कि यह देश के लिए न केवल एक चुनौती है बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत एक गंभीर समस्या भी है। मधुमेह रोग का नाम सुनते ही सबसे पहले लोगों के मन में यही ख्याल आ जाता है कि,अब उन्हें का ताउम्र जीवन भर दवा के सहारे अपना आगे की जिंदगी जीना पड़ेगा। यही सबसे बड़ी मिथ्या है क्योंकि रोगियों को पूरी जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनके लिए भी एक वैज्ञानिक होने के नाते बहुत बड़ी चुनौती थी कि आखिर इस रोग से लोगों को कैसे मुक्ति दिलाए। उन्होंने इस और गहन रिसर्च कर यह देखा कि मेडिकल साइंस में भी इस रोग में कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट की जानकारी दी गई है। जिसे आमतौर पर देश के चिकित्सक मरीजों को सलाह तक नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि सी- पेप्टाइड टेस्ट होमा (आईआर),फास्टिंग सिरम इन्सुलिन सेंसटिविटी तथा बीटा सेल फंक्शन का टेस्ट इस रोग में बहुत ही महत्वपूर्ण है। किंतु डॉक्टर इस टेस्ट के लिए रोगियों को सलाह तक नहीं देते हैं। समय बदला जब देश में यह आधुनिक टेस्ट मौजूद है तो फिर आखिर प्रॉब्लम कहां है।
डॉ कुमार ने कहा कि जब वह इस और बढ़े और मरीजों में फास्टिंग, पोस्टमिल और एचबीए1सी के अलावा सी-पेप्टाइड टेस्ट,होमा (आईआर) और बीटा सेल फंक्शन जैसे प्रमुख टेस्ट के लिए रोगियों को सलाह दी और जब पूरी जांच सामने आई तो टेस्ट चौंकाने वाली थी क्योंकि उनके सेंटर पर जितने भी रोगी आए उनमें से किसी को मधुमेह रोग था ही नहीं। और ऐसे रोगी पिछले 20-20 साल से दवा और इंसुलिन ले रहे थे। उन्होंने कहा कि जब पहले से ही ऐसे रोगियों में सी पेप्टाइड मौजूद था और बीटा सेल फंक्शन भी अच्छी तरह से काम कर रही थी, शरीर में इंसुलिन भी बन रही थी तो फिर मधुमेह की दवा या फिर इंसुलिन लेने की जरूरत ही क्या थी।
शेखर
वार्ता
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