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अपनों के बगावती तेवर से आशंकित हैं भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी

झुंझुनू, 23 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान में झुंझुनू लोकसभा सीट पर नामांकन पत्र की वापसी के बाद उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है, क्षेत्र में अब 12 प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं।
इन उम्मीदवारों के 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला झुंझुनू संसदीय क्षेत्र के 18 लाख 98 हजार 627 मतदाता करेंगे। इसमें पिलानी विधानसभा में दो लाख 34 हजार 219, सूरजगढ़ से दो लाख 64 हजार 626, झुंझुनू से दो लाख 43 हजार 791, मंडावा से दो लाख 27 हजार 500, नवलगढ़ से दो लाख 58 हजार 759, उदयपुरवाटी से दो लाख 28 हजार 508, खेतड़ी से दो लाख सात हजार 394 और फतेहपुर विधानसभा से दो लाख 33 हजार 830 मतदाता वोट डालेंगे।
जिला निर्वाचन विभाग के अनुसार नरेंद्र कुमार भाजपा से, श्रवणकुमार कांग्रेस से, अजयपाल बीएमयूपी से, कृष्णकुमार आरएमजीएलएमपी से आरैर डा. तेजपाल कटेवा आरटीओआरपी से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, निर्दलीय के रूप में महंत आकाशगिरी, कैलाश कड़वासरा, गुरु गोकुलचंद राष्ट्रवादी, बलदेवप्रसाद सैनी, भीमसिंह, मो. युनूस एवं श्रवणकुमार मैदान में हैं। हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा के नरेन्द्र कुमार खीचड़ और कांग्रेस के श्रवण कुमार में ही है। इससे भाजपा एवं कांग्रेस के प्रत्याशी विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन लोकसभा का चुनाव पहली बार लड़ रहें हैं।
भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र कुमार खीचड़ मण्डावा विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय के रूप में जीता था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गये। मण्डावा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को पहली बार जीत मिली, लिहाजा पुरस्कारस्वरूप नरेन्द्र कुमार उनको लोकसभा का टिकट मिला है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार पांच बार विधायक रह चुके हैं। वह सूरजगढ़ से पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के सुभाष पूनिया से हार चुके हैं। श्रवण कुमार ने भी नरेन्द्र खीचड़ की तरह अपना पहला विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप जीता था, फिर कांग्रेस में शामिल हो गये थे।
भाजपा ने नरेन्द्र कुमार को पार्टी की मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया है जिस कारण अहलावत पार्टी से नाराजगी जता रही है। सांसद संतोष अहलावत अब तक सक्रिय नहीं हुई हैं और घर बैठकर हवा का रूख देख रही हैं। उनके समर्थकों ने भाजपा उम्मीदवार को विरोध करना शुरु कर दिया हैं। संतोष अहलावत के रिश्तेदार एवं उदयपुरवाटी के पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी दिखावे के तौर पर भाजपा प्रत्याशी के उदयपुरवाटी क्षेत्र के जनसम्पर्क अभियान में उनके साथ नजर आये। उनके समर्थकों में नाराजगी है और वे अहलावत का टिकट काटने का बदला लेने की बात कर रहे हैं। श्रीमती अहलावत भी बार- बार कहती हैं -‘मैंने 35 साल रात-दिन मेहनत करके जिले में पार्टी को खड़ा किया एवं पहली बार सांसद का चुनाव जितवाया, फिर मेरा टिकट कैसे काटा गया। मैने एक सांसद के रूप में बड़ी संख्या में विकास काम करवाये थे।’
यदि भाजपा सांसद संतोष अहलावत खुलकर भाजपा की मुखालिफत करती हैं तो वह खुद सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में एवं उनके रिश्तेदार पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र में कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन संतोष अहलावत की बगावत की संभावना कम नजर आती है क्योंकि उनके पास भाजपा के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं हैं। वैसे उनके गृह क्षेत्र सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा में उनके विरोधी गुट के माने जाने वाले सुभाष पूनिया मौजूदा विधायक हैं जिन्होने कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार को हराया था। विधायक सुभाष पूनिया पूरी ताकत से भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र कुमार खीचड़ को जिताने में लगे हैं।
हालांकि भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र कुमार खीचड़ के पक्ष में अब तक किसी बड़े राष्ट्रीय स्तर के नेता की सभा नहीं हुयी है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एवं सांसद मदनलाल सैनी और पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ जरूर उनके नामांकन के वक्त आयोजित सभा को सम्बोधित करने आये थे। मदनलाल सैनी उदयपुरवाटी से विधायक रह चुके हैं व झुंझुनू से दो बार भाजपा टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
कांग्रेस के श्रवण कुमार के पक्ष में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेतड़ी और झुंझुनू में जनसभा कर चुके हैं। श्रवण कुमार पिलानी एवं सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं, लिहाजा उनकी इन क्षेत्रों में उनकी अच्छी पकड़ मानी जा रही है। कांग्रेस ने इस बार ओला परिवार की डा. राजबाला ओला का टिकट काट कर श्रवण कुमार दे दिया है जिससे ओला समर्थकों में भारी नाराजगी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शीशराम ओला लगातार पांच बार झुंझुनू से सांसद एवं आठ बार विधायक और केन्द्र एवं राज्य सरकार में कई बार केबीनेट मंत्री रहे थे। शीशराम ओला ने 2004 में मौजूदा सांसद संतोष अहलावत को भी हराया था। वर्ष 2014 में मोदी लहर में शीशराम ओला की पुत्रवधु उवं पूर्व जिला प्रमुख डा. राजबाला ओला भाजपा की संतोष अहलावत से हार गयी थी।
डा. राजबाला ओला इस बार भी टिकट की प्रबल दावेदार थीं। उनके पति बृजेन्द्र ओला पूर्व मंत्री हैं और झुंझुनू से तीसरी बार से विधायक हैं। राजबाला ओला का टिकट काटकर उनके धुर विरोधी श्रवणकुमार को देने से ओला के समर्थको में कांग्रेस से गहरी नाराजगी है। ओला समर्थक किसी भी कीमत पर श्रवण कुमार को सांसद नहीं बनने देने का जोर लगा रहे हैं। ओला परिवार का झुंझुनू जिले की राजनीति में वर्चस्व रहा है। उनकें समर्थको की नाराजगी कांग्रेस प्रत्याशी को भारी पड़ सकती है।
झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें सात झुंझुनू जिले के एवं एक सीकर जिले का फतेहपुर शामिल हैं। आठ में से पांच सीट खेतड़ी, पिलानी, झुंझुनू, नवलगढ़ एवं फतेहपूर कांग्रेस के पास है। दो क्षेत्र सूरजगढ़ एवं मण्डावा भाजपा के पास है। उदयपुरवाटी सीट पर बसपा का विधायक है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र कुमार खीचड़ को पार्टी सांसद संतोष अहलावत की नाराजगी से ज्यादा नुकसान होगा या कांग्रेस प्रत्याशी श्रवणकुमार को पूर्व सांसद शीशराम ओला समर्थकों से ज्यादा नुकसान होगा। इसका पता तो चुनाव परिणाम के बाद ही लगेगा, लेकिन अपनों के भितरघात की संभावना से दोनों दलों के प्रत्याशी आशंकित हैं।
सर्राफ सुनील
वार्ता
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