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बिजनेस


ई-रिक्शा के लिये सरकार की सुरक्षा पहलों की उद्योगजगत में सराहना

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (वार्ता) ई-रिक्शा उद्योग ने देश में बैटरी चालित तिपहिया वाहनों की गति सीमा आदि को लेकर प्रस्तावित सुरक्षा संबंधी पहलों का स्वागत किया है और ऐसे उपायों की जरूरतों को स्वीकार किया है।
इस पहल के महत्व पर प्रमुख ई रिक्शा निर्माताओं में से एक लोहिया के सीईओ आयुष लोहिया ने बताया कि यह कदम रोजगार सृजन में ई-रिक्शा की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुये सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
उन्होंने एक बयान में प्रदूषण रहित एवं सुरक्षित शहरी याता-यात के लिये ई-रिक्शा के प्रोत्साहन के व्यावहारिक समाधान के रूप में बैटरियों को अलग करने की वकालत करते हुए वाहन की लागत को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
उद्योग जगत के अनुसार इस समय देश में सड़कों पर ई-रिक्शा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिनकी कुल संख्या लगभग 15 लाख वाहन पहुंच गयी है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि ई-रिक्शा पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2020-21 में मात्र 78,700
से बढ़कर पिछले वित्तीय वर्ष में 4,00,000 से अधिक हो गयी है।
इन वाहनों की मजबूती और यात्री सुरक्षा से संबंधित चिंताओं ने सरकार को डिजाइन में सुधार पर विचार करने के लिये प्रेरित किया है। मोटर वाहन नियमों के अनुसार इन वाहनों को स्पीडोमीटर की अनिवार्य स्थापना के साथ अधिकतम 25 किमी प्रति घंटे की गति तक सीमित रखा गया है।
ओवरलोडिंग को रोकने के लिये इन पर चार से अधिक यात्रियों को ले जाने की अनुमति
नहीं है क्योंकि ओवर लोडिंग से वाहन पलटने का खतरा बढ़ता है।
उद्योग जगत के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ई-रिक्शा से जुड़े विषयों पर
हाल में एक बैठक बुलाई थी। सरकार ने सड़क परिवहन मंत्रालय को सुरक्षा चिंताओं को
दूर करने पर ध्यान देने के साथ इन वाहनों की व्यापक समीक्षा करने का काम सौंपा है।
पीएमओ ने मंत्रालय से ई-रिक्शा को व्यापक रूप से अपनाने वाले कारकों का विश्लेषण करने और उनकी सफलता से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का भी आग्रह किया है। सुरक्षा बढ़ाने
के प्रस्तावित उपायों में बेहतर स्थिरता के लिये वाहनों को चौड़ा करना, फिटनेस परीक्षण और उत्पादन अनुरूपता प्रोटोकॉल को परिष्कृत करना शामिल है, जिसमें परीक्षण अंतराल तीन और दो साल निर्धारित किये गये हैं।
ई-रिक्शा निर्माता मानते हैं कि है कि इसकी लोकप्रियता को देखते हुये शहरों में इनकी भीड़भाड़ और सुरक्षा खतरों के संबंध में चिंतायें बनी हुई हैं, जिसके लिये त्वरित सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है।
उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए ये साधारण ई-रिक्शा देश में ईवी क्रांति को शक्ति दे रहे हैं। पिछले दशक में भारत में लगभग 17 लाख
तीन पहिया ईवी बेची गयी हैं। पिछले महीने ही लगभग 500 निर्माताओं ने 44,000 से अधिक ई-रिक्शा बेचे, जिनमें से अधिकांश घरेलू थे।
मनोहर.श्रवण
वार्ता
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