नयी दिल्ली 12 दिसंबर (वार्ता) आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और प्रशिक्षित उच्चतम न्यायालय विधिक अनुवाद साफ्टवेयर (सुवास) के माध्यम से शीर्ष न्यायालय के फैसलों का नौ भारतीय भाषाओं असमिया, बंगला, हिंदी, कन्नड़, मराठी, उड़िया, तमिल, तेलुगु और उर्दू में अनुवाद किया जाता है।
विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरूवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी देते हुये कहा कि 26 नवंबर 2019 से यह सेवा शुरू हो गयी है। इनमें अभी श्रम मामले, किराया अधिनियम मामले, भूमि अर्जन और अधिग्रहण मामले, सेवा मामले, प्रतिकर मामले, दांडिक मामले, कुटुम्ब विधि मामले, साधारण सिविल मामले, स्वीय विधि मामले, धार्मिक और पूर्त विन्यास मामले, साधारण धन और बंधक मामले, सरकारी स्थान (बेदखली) अधिनियम के अधीन बेदखली मामले, भूमि विधियां और कृषि अभिधृतियां तथा उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित मामले हैं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर न्यायधीशों की सेवा शुरू करने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा शुरू करने का प्रस्ताव है। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग जैसे संगठन के माध्यम से नियुक्ति करने का प्रस्ताव है।
उन्होंने एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि देश में 16 हजार ई कोर्ट बनाये गये हैं।
शेखर सत्या
वार्ता