नयी दिल्ली, 21 अगस्त (वार्ता) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के खिलाफ बुधवार को जारी लुक आउट नोटिस ऐहतियात के तौर पर उठाया गया कदम है।
ईडी के अधिकारियों ने कहा कि मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से श्री चिदम्बरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीमें श्री चिदम्बरम के नयी दिल्ली के जोरबाग स्थित आवास पर गयी थी, लेकिन वहां वह मौजूद नहीं थे। बाद में आज उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि लुकआउट नोटिस ऐहतियातन उठाया गया कदम है, क्योंकि वर्तमान में श्री चिदम्बरम कहां हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए श्री चिदम्बरम की मौजूदगी जरूरी है।
लुकआउट नोटिस एक परिपत्र है, जो कई मामलों में जारी किया जाता है। इसका उपयोग भागे हुए अपराधियों का पता लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। कई बार ऐसा होता है कि कोई अपराधी हवाई अड्डे अथवा दूसरे देश की सीमा पर पकड़ा जाता है। ऐसे अपराधियों के खिलाफ उस देश के अधिकारियों के पास लुक आउट नोटिस होता है।
लुक आउट नोटिस का उपयोग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं (जैसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों या समुद्री क्षेत्र, बंदरगाहों) पर आव्रजन जांच में किया जा सकता है। नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के अनुरोध पर आव्रजन अधिकारी आरोपी व्यक्ति को हिरासत में भी ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने हाल ही में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक और वीडियोकॉन ग्रुप के प्रबंध निदेशक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है ताकि वे देश छोड़कर न जा सकें।
सरकारी दिशानिर्देशों के तहत किसी भारतीय व्यक्ति के खिलाफ सभी आव्रजन जांच चौकियाें के लिए लुक आउट नोटिस गृह मंत्रालय की ओर से तैयार प्रारूप में ही जारी किया जा सकता है। इसे जारी करने का अधिकार केंद्र में उप सचिव, प्रदेश में संयुक्त सचिव तथा जिलाें में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को होता है। लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के लिए जरूरी है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ इसे जारी किया गया है, उसकी पूरी पहचान निर्धारित प्रारुप में देना आवश्यक है तथा संबंधित व्यक्ति के नाम के अलावा कम से कम तीन और पहचान चिह्न भी बताना जरूरी होगा। इसकी अवधि जारी होने की तारीख से एक वर्ष तक वैध होता है, हालांकि नोटिस जारी करने वाली एजेंसी इसकी मियाद बढ़ाना चाहती है, तो वह एक वर्ष की अवधि समाप्त होने से पहले ऐसा कर सकती है।
टंडन.श्रवण
वार्ता