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कांग्रेस ने जम्मू की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाया: जितेंद्र

कांग्रेस ने जम्मू की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाया: जितेंद्र

जम्मू, 23 अप्रैल (वार्ता) केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने शाहपुर-कांडी परियोजना और उझ बहुउद्देशीय परियोजना सहित जम्मू की महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाया है, जिससे सांबा, कठुआ और जम्मू जिलों के पूरे शुष्क भूमि क्षेत्र को सिंचित किया जा सकता था। ये दोनों परियोजनाएं 2019 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद ही शुरू हो सकीं।

डॉ. सिंह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर रहने वाले लोगों को चार प्रतिशत आरक्षण से भी वंचित रखा। उन्होंने सांबा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार जुगल किशोर शर्मा के समर्थन में विभिन्न स्थानों पर जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी सरकारों ने न केवल सांबा और कठुआ के कंडी क्षेत्रों का हक छीनकर उनका नुकसान किया, बल्कि क्षेत्रीय भेदभाव का दृष्टिकोण अपनाकर कुछ वर्गों को खुश करने के लिए राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम करने की हद तक भी चली गयीं। सांबा में 26 अप्रैल को मतदान होने वाला है।

केन्द्रीय मंत्री ने याद दिलाया कि 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि को अंतिम रूप दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप, तीन प्रमुख नदियों रावी, सतलुज और ब्यास का जल भारत को साझा करना था।

उन्होंने कहा कि भारत को शाहपुर-कांडी बांध का निर्माण करके जम्मू-कश्मीर के सांबा और कठुआ सीमावर्ती जिलों के साथ-साथ पंजाब के गुरदासपुर और पठानकोट जिलों में 3500 से 4000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए रावी नदी के पानी के अपने हिस्से का उपयोग करना था।

उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार इस परियोजना की स्थापना में सहयोग करने के लिए आगे आ रही थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर की सरकारों ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने और परियोजना को पुनर्जीवित करने तक किसी न किसी बहाने से इसे टाल दिया।

डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण सांबा की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले युवाओं को चार प्रतिशत आरक्षण देने से इनकार कर दिया था, जबकि नियंत्रण रेखा पर युवाओं को इसकी अनुमति दी थी।

उन्होंने कहा कि श्री मोदी के सत्ता संभालने के बाद यह विसंगति भी दूर हो गई। डॉ. सिंह ने कहा, सांबा और आसपास के क्षेत्रों में नये उद्योग आने के साथ कठुआ से सांबा तक का पूरा क्षेत्र, तीन तरफ से पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से जुड़े होने के कारण उत्तर भारत के एक प्रमुख भर्ती और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उभरने की क्षमता रखता है।

उन्होंने कहा कि यह पूरा क्षेत्र परंपरागत रूप से ‘मार्शल’ जाति के निवास के रूप में जाना जाता है और इस क्षेत्र के युवा आजादी से पहले और बाद में हमेशा सशस्त्र बलों में अपनी वीरता के लिए जाने जाते हैं। दुर्भाग्य से, फिर से यह कांग्रेस सरकार ही थी जिसने डोगरा प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया और इस क्षेत्र के युवाओं को सशस्त्र बलों में भर्ती के अवसरों से वंचित कर दिया।

डॉ. सिंह ने उधमपुर रैली में श्री मोदी के शब्दों को याद किया, जहां उन्होंने कहा था कि पिछले 10 वर्ष में जो हुआ है, वह सिर्फ एक ट्रेलर है और अगले पांच वर्ष में इस केन्द्रशासित प्रदेश के लिए और भी बहुत कुछ होने वाला है। उन्होंने इस क्षेत्र के संदर्भ में कहा कि पहले के 10 साल अतीत की खामियों को दूर करने में बीत गये, लेकिन अगले पांच साल इस क्षेत्र को भारत की विकास गाथा में अग्रणी धावक के रूप में पेश करने वाले हैं।

यामिनी, उप्रेती

वार्ता

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