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चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में अफीम राजनीति चढ़ने लगी परवान

चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में अफीम राजनीति चढ़ने लगी परवान

चित्तौड़गढ़ 29 मार्च (वार्ता) राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर विभिन्न मुद्दों को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं और चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में अफीम राजनीति परवान चढ़ने लगी हैं जिसमें सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं विपक्ष कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दल अफीम किसानों का समर्थन जुटाने में लगे हैं।

चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में आगामी 26 अप्रैल को मतदान होगा। हालांकि अभी भाजपा के उम्मीदवार एवं मौजूदा सांसद तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी एवं कांग्रेस प्रत्याशी उदय लाल आंजना ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया हैं लेकिन उम्मीदवार घोषित होने के बाद श्री जोशी ने निम्बाहेड़ा में अफीम किसान सम्मेलन से अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत की जिसमें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी शामिल हुए और किसानों का समर्थन प्राप्त करने के लिए धारा 8/29 को समाप्त करने और किसानों को अफीम खेती के अधिक पट्टे जारी करने की मांग का ज्ञापन पढ़कर सुनाया गया एवं उन्हें सौंपा गया।

इसी तरह श्री आंजना ने अपने प्रचार की शुरूआत में सीपीएस एवं धारा 8/29 को खत्म करने का वादा किया है और वह भी चुनाव में अफीम किसानों को अपने समर्थन में करने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ही नेता संसदीय क्षेत्र में अफीम खेती और किसानों पर अपना ध्यान लगा रहे हैं और अफीम के मुद्दे पर दोनों दल किसानों के साथ सहमति प्रकट कर रहे हैं।

देश में आधिकारिक तौर पर अफीम खेती राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में की जाती हैं लेकिन इनमें मध्यप्रदेश के मंदसौर एवं राजस्थान के चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र की राजनीति अफीम पर केंद्रित रहती है। वर्ष 1985 में मादक पदार्थ स्वापक नियंत्रण अधिनियम लागू होने के बाद राजनीति इस पर केंद्रित होने लगी और भाजपा तो 1991 से ही अफीम मुद्दे पर ज्यादा जोर देने लगी।

वर्तमान में लगभग 22 लाख मतदाताओं वाले चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में शामिल चित्तौड़गढ़, बेंगू, कपासन, निम्बाहेड़ा, बड़ीसादड़ी, प्रतापगढ़, मावली एवं वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्रों में प्रमुख रूप से अफीम खेती आधार है। इन क्षेत्रों में नारकोटिक्स विभाग ने 32 हजार से अधिक अफीम पट्टे जारी किये हुए है और जाट, गुर्जर, गायरी, आंजना, पाटीदार एवं धाकड़ जैसी प्रमुख किसानी जातियों से जुड़े किसानों के पास अधिकतम अफीम पट्टे है। वर्ष 2012 में मादक पदार्थ नियंत्रण के लिए लागू अंतर्राष्ट्रीय नीति के बाद से ही कांग्रेस ने जहां अफीम पर अपनी राजनीति कम कर दी और एक भी नया अफीम पट्टा जारी नहीं हुआ।

इसी को भाजपा ने वर्ष 2014 में मुद्दा बनाया और किसानों को कटे हुए पट्टे एवं नये पट्टे देने का वादा किया। नतीजे में भाजपा के चंद्र प्रकाश जोशी 2014 में अफीम राजनीति से दूर रही कांग्रेस की डॉ. गिरिजा व्यास को हराकर सांसद बने। जीतने के बाद से ही श्री जोशी एवं मंदसौर संसदीय क्षेत्र से जीते सुधीर गुप्ता ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया और अंततः वर्ष 2016-2017 की अफीम नीति में मिलावट या अन्य कारणों से कटे हुए पट्टों को पांच एवं दस आरी तक के रकबे के लिए पुनः जारी करवाए जबकि वर्ष 2017-2018 की अफीम नीति में पूर्व पट्टाधारियों की मृत्यु पर विरासत की तरह उनके परिजनों को पट्टे जारी कराए। इस तरह इन दोनों भाजपा सांसदों ने अफीम राजनीति को मजबूत कर लिया।

इसका फायदा इन दोनों नेताओं को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला और ये दोनों फिर चुन जीत गए। वर्ष 2019 के चुनाव के बाद अंतर्राष्ट्रीय अफीम नीति के तहत नशेड़ियों के लिए डोडा परमिट और डोडा ठेकों को समाप्त कर दिया गया और अफीम दूध निकालने के बाद आबकारी में शामिल डोडा चूरा को नष्ट करने की नीति बनाई गई।

वर्ष 2021-2022 की अफीम नीति में फिर भाजपा सांसदों ने दबाव बनवाकर संशोधन करवाया और सीपीएस पद्धति (इसमें नारकोटिक्स बिना चीरा लगाए आठ इंच तक डोडा लगा पौधा खरीदता है) से पांच पांच आरी के नये पट्टे जारी करवाए वहीं नारकोटिक्स, पुलिस और अन्य एजेंसियों ने केंद्र सरकार की नशा विरोधी मुहीम के तहत तस्करी कर ले जाई जाने वाली अफीम एवं डोडा चूरा को नष्ट करने की बजाय इसकी तस्करी पर लगाम के लिए सख्त कार्रवाई शुरू कर दी और एनडीपीएस की धारा 8/29 में अवैध अफीम एवं डोडा चूरा बेचने वाले किसानों के विरूद्ध मुकदमें दर्ज कर गिरफ्तारियां शुरू कर दी गई और पिछले चार वर्षो में एजेंसियों ने रिकार्ड गिरफ्तारियां की है। इन गिरफ्तारियों और सीपीएस पद्धति का किसान विरोध करने लगे।

विरोध को राजनीतिक रूप से भुनाने के लिए दोनों क्षेत्रों के सांसद एवं तमाम विधायक एकजुट हो गये जिसमें कांग्रेस भी शामिल है पिछले दो साल से भाजपा सांसद एवं विधायक जहां एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/29 को खत्म कराने के लिए किसानों से वादे कर रहे हैं तो कांग्रेस इसके साथ ही सीपीएस पद्धति को ही समाप्त करने की आवाज बुलंद कर रही हैं।

चित्तौड़गढ़ में लोकसभा चुनाव दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होना हैं और इन अगले चार सप्ताह में श्री जोशी एवं श्री आंजना चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झौंक देंगे। श्री जोशी लगातार तीसरी बार सांसद बनने के प्रयास कर रहे हैं वहीं श्री आंजना भी मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे जिन्होंने वर्ष 1998 के संसदीय चुनाव में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री जसवंत सिंह को हराया और सांसद बने थे। श्री आंजना राज्य में मंत्री भी रहे हैं।

सं जोरा

वार्ता

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