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जलालगांव के लोगों ने प्रशासन की बेरूखी के चलते किया चुनाव का बहिष्कार

नैनीताल, 19 अप्रैल (वार्ता) उत्तराखंड के नैनीताल जिले के जलालगांव के लोगों ने प्रशासन की बेरूखी के चलते आज मतदान में प्रतिभाग नहीं किया। ग्रामीणों ने चुनाव से दूरी बनाये रखी।
जलाल गांव नैनीताल जिला मुख्यालय से मंगोली से मात्र 20 से 25 किमी की दूरी पर बसा है। यहां लगभग 250 से 280 मतदाता हैं। इस गांव को जोड़ने के लिये मंगोली से रौखड़ को जोड़ने वाला एकमात्र सड़क मार्ग है।
सड़क का बुरा हाल है। ग्रामीणों की एक मांग रही है कि चुनावों में उनके गांव में अलग पोलिंग बूथ स्थापित किया जाये। ग्रामीण इस मांग को हर चुनाव से पहले प्रशासन से दुहराते आये हैं।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि उनकी ग्राम सभा भी अलग है लेकिन जिला प्रशासन लगभग पांच किमी दूर थापला ग्राम सभा में पोलिंग बूथ बना कर उन्हें भी हर चुनाव में थापला में मतदान करने को विवश करता आ रहा है।
थापला और जलालगांव से के बीच की दूरी चार से पांच किमी है। उबड़खाबड़ सड़क मार्ग के अलावा प्राइमरी स्कूल स्थित पोलिंग बूथ तक पहुंचने के लिये 01 किमी की चढ़ाई अलग से है। ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि अलग पोलिंग बूथ हो तो उन्हें मतदान में आसानी होगी।
ग्रामीण युवकों ने भी मतदान से दूरी बनाये रखी। पुष्कर सिंह और गिरीश ने बताया कि ग्रामीणों ने इस बार प्रशासन की बेरूखी के चलते मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन से वर्षों से अलग पोलिंग बूथ बनाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन प्रशासन हर बार अगले चुनाव की बात कह कर उन्हें आश्वासन देकर टाल देता है। गांव में अधिकांश मतदाता बुजुर्ग हैं और ऐसे में ग्रामीणों में आक्रोश होना स्वाभाविक है।
राजनीतिक दलों के नेताओं के लिये भी यह यक्ष प्रश्न है कि ग्रामीण गांव में कोई बड़ी विकास योजना नहीं मांग रहे हैं बल्कि चुनावों में सिर्फ एक अलग पोलिंग बूथ बनवाने की मांग कर रहे हैं।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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