भारतPosted at: Oct 22 2019 9:11PM ट्रेनें दिल्ली से हावड़ा पहुंचेंगी 12 घंटे में
नयी दिल्ली 22 अक्टूबर (वार्ता) रेलवे के दिल्ली हावड़ा ग्रैंड कॉर्ड मार्ग पर सर्वाधिक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है जिससे इन दोनों महानगरों के बीच रेलयात्रा में पांच से सात घंटे की कमी आ सकेगी।
रेलवे के आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि गत 20 अक्टूबर रविवार को दिल्ली से करीब दो सौ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में टूंडला जंक्शन पर 65 साल पुरानी मैकेनिकल इंटरलॉकिंग को बदल कर सर्वाधिक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। इस काम में दो सितंबर, 2019 से लेकर 20 अक्टूबर, 2019 के बीच 500 से अधिक लोगों ने 50 दिन तक दिन-रात बिना रुके काम करके न्यूनतम संभव समय में और आम जनता को कम से कम असुविधा के साथ यह जटिल एवं चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा किया।
उल्लेखनीय है कि खड़गपुर के बाद टूंडला भारतीय रेलवे का सबसे जटिल मैकेनिकल इंटरलॉकिंग सिस्टम था। इस अति व्यस्त मार्ग पर टूंडला जंक्शन एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्टेशन है जो अपनी निर्धारित क्षमता के 160 प्रतिशत का संचालन करता है। यह जंक्शन इसके साथ ही आगरा कैंट जंक्शन को भी मुख्य लाइन से जोड़ता है। इस कदम से भारतीय रेलवे को विभिन्न ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और दिल्ली तथा हावड़ा के बीच सफर में लगने वाला समय मौजूदा 17-19 घंटे से कम होकर लगभग 12 घंटे हो जाने की आशा है।
इस प्रणाली को चालू करने के बाद भी कुछ और कार्य 17 नवंबर 2019 तक पूरा हो पाएंगे जिसके बाद ट्रेन परिचालन में बहुत फायदा होगा। सूत्रों के अनुसार केन्द्रीकृत पावर केबिन के जरिए ट्रेन संचालन समय मौजूदा 05-07 मिनट से घटकर 30-60 सेकेंड हो जाएगी जिससे टूंडला जंक्शन की ट्रेन संचालन क्षमता मौजूदा अधिकतम 200 ट्रेनों से बढ़कर 250 ट्रेनें प्रतिदिन हो गई हैं। इससे टूंडला के बाहर रेलगाड़ियों को अपेक्षाकृत कम समय के लिए ही रुकना पड़ेगा और इसके साथ ही ट्रेनों की समयबद्धता बेहतर हो जाएगी।
आगरा की ओर ट्रेन परिचालन अत्यंत बेहतर हो जाएगा। दो अतिरिक्त प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ तीन मौजूदा प्लेटफॉर्मों (संख्या 3, 4 एवं 5) के विस्तार से मुख्य लाइन पर पूरी लंबाई वाली ट्रेनों की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी।
उत्तर प्रदेश की दिशा वाली सभी यार्ड लाइनें अब यात्री ट्रेनों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हो गई हैं जिससे और भी अधिक कोचिंग ट्रेनों का सुव्यवस्थित संचालन संभव हो गया है। यार्ड लाइनों की लंबाई बढ़ गई है जिससे अपेक्षाकृत अधिक लंबी यात्री रेलगाड़ियों एवं माल ढुलाई ट्रेनों का संचालन संभव हो गया है। हादसों इत्यादि के दौरान दोनों ही तरफ से तत्काल आवाजाही के लिए चिकित्सा राहत ट्रेन (एआरएमई) को दोहरी निकासी वाली सुविधा दी गई है।
सूत्रों ने कहा कि इससे नई दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाइन पर ट्रेनों की समयबद्धता को बेहतर करने में काफी मदद मिलेगी और कोहरे वाले आगामी सीजन के दौरान इसके कई फायदे देखने को मिलेंगे क्योंकि टूंडला जंक्शन पर ट्रेनों का बगैर विलंब के सुरक्षित संचालन संभव हो पाएगा।
सचिन टंडन
वार्ता