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तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान समाप्त

तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान समाप्त

चेन्नई, 17 अप्रैल (वार्ता) तमिलनाडु में लोकसभा के लिए शुक्रवार को होने वाले एकल चरण के चुनाव के लिए प्रचार अभियान बुधवार शाम को समाप्त हो गया।

उन्नीस अप्रैल को तमिलनाडु में 39 संसदीय क्षेत्रों और केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में एकमात्र सीट के लिए मतदान होगा।

लोकसभा सीटों के साथ-साथ विलावनकोड विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होगा, जो कांग्रेस विधायक एस विजयधरानी के इस्तीफे के बाद खाली हो गई थी। सुश्री विजयधरानी कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गईं।

आज शाम छह बजे जैसे ही चुनाव प्रचार थमा उससे पहले उम्मीदवारों ने घर-घर जाकर मतदाताओं को लुभाने का आखिरी प्रयास किया।

चुनावों में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव एलायंस (एसपीए) और अन्नाद्रमुक और अभिनेता-निर्देशक सीमान की नाम तमिझार काची (एनटीके) के अलावा भाजपा के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला होगा।

अन्नाद्रमुक की आम परिषद की 2022 में बैठक में पार्टी के ज्यादातर सदस्यों के समर्थन से पार्टी की कमान संभालने के बाद महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के.पलानीस्वामी के एकात्मक नेतृत्व में पार्टी का यह पहला चुनाव होगा। श्री पलानीस्वामी को एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद और एकमात्र पार्टी नेता के रूप में चुनाव आयोग की आधिकारिक मान्यता प्राप्त हुई।

बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम को पार्टी से बाहर कर दिया गया।

इस चुनाव अभियान में राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ ज़बरदस्त हमले किए। चुनावी परिदृश्य में अपनी छाप छोड़ने के लिए मैदान में उतरी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। चुनाव में तीन प्रमुख दावेदारों में दो द्रविड़ प्रमुखों और भाजपा के एक नेता की साख दांव पर लगी हुई है।

इन चुनाव अभियानों में द्रमुक का हमला अधिक मुखर और तीखा था। उसने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अन्नाद्रमुक के खिलाफ तीखे हमले किए।

दूसरी ओर, अन्नाद्रमुक शुरुआती चरण में सतर्क रहने के बाद और भाजपा के खिलाफ आलोचनाओं से बच रही थी। अन्नाद्रमुक ने लगातार चुनावों के बाद भाजपा से अपने संबंध तोड़ लिए थे। उसने अल्पसंख्यक मतदाताओं को आकर्षित करने के प्रयास में, अभियान के समापन के करीब पहुंचते ही भगवा पार्टी के खिलाफ अपनी आक्रामकता बढ़ा दी।

चुनाव अभियान में भाजपा, द्रमुक और अन्नाद्रमुक के खिलाफ मुखर रही और उन दोनों पर भ्रष्ट होने और राज्य के कल्याण के बारे में चिंतित नहीं होने का आरोप लगाए , जबकि एनटीके हमेशा की तरह अकेले चली और मैदान में तीन प्रमुख दलों की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

प्रचार अभियान में भाजपा ने अक्सर वंशवाद की राजनीति करने और भ्रष्ट होने के अलावा अपने पारिवारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए द्रमुक पर हमले किए।

जांगिड़, सोनिया

जारी वार्ता

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