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धर्मसिंह सैनी के भाजपा में शामिल होने से बढ़ी उम्मीदें

धर्मसिंह सैनी के भाजपा में शामिल होने से बढ़ी उम्मीदें

सहारनपुर, 17 अप्रैल (वार्ता) समाजवादी पार्टी (सपा) के किनारा कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन फिर थामने वाले डा धर्म सिंह सैनी के आने से भाजपा की उम्मीदों में इजाफा हुआ है।

डा. सैनी का राजनीतिक जीवन बसपा से शुरू हुआ था जहां वे तीन बार विधायक और मायावती सरकार में काबिना मंत्री रहे लेकिन 2017 में वह विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य आदि के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे और नकुड़ से विधायक चुने गए थे जहां उन्होंने धाकड़ मुस्लिम नेता इमरान मसूद को मामूली वोटों के अंतर से हराया था। योगी सरकार में वह स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री रहे।पिछले विधानसभा चुनाव के मौके पर भाजपा छोड़कर सपा ज्वाइन कर ली थी और कुछ सौ वोटों भाजपा के मुकेश चौधरी से पराजित हो गए थे। उसके बाद उनके ऊपर भ्रष्टाचार के कथित आरोप लगने लगे और उनका मन पलट गया और वह तभी से भाजपा में शामिल होने के प्रयासों में लग गए।

खतौली विधानसभा उपचुनाव के मौके पर जब धर्म सिंह सैनी को भाजपा ज्वाइन कराने जा रही थी तो एकाएक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीटो लगा दिया और उनकी ज्वाइन धरी की धरी रह गई। राज्यमंत्री जसवंत सैनी, विधायक मुकेश चौधरी आखिरी तक डा. धर्मसिंह सैनी की ज्वाइन के खिलाफ लोबिंग करते रहे। लेकिन अब लोकसभा चुनाव के दौरान सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर की महत्वपूर्ण सीटों पर राजपूतों और सैनी बिरादरी की नाराजगी सामने आने लगी तो बीती रात अचानक डा. सैनी को मेरठ बुलाकर पश्चिमी भाजपा के अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया ने डा. सैनी को भाजपा में शामिल करा लिया।

आज डा. सैनी ने सहारनपुर में दिल्ली रोड़ पर अपनी बिरादरी का सम्मेलन करके भाजपा को जिताने की अपील कर दी। उनके सभी विरोधी देखते रह गए।

इसी तरह सोमवार शाम तक बसपा में चुनाव कार्य करने वाले और रविवार की देवबंद की बसपा की सभा में मायावती के मंच पर मौजूद रहे पूर्व विधायक और दलित नेता दो साल के भीतर पुनः भाजपा में शामिल कर लिए गए। रविंद्र मोल्लू ने आज कहा कि उनके आने से भाजपा को दलितों का समर्थन बढ़ेगा।

उन्होंने बताया कि बहुजन समाज पार्टी पूरी तरह से मुकाबले से बाहर है और भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के इमरान मसूद से है इसी वजह से वह जल्दबाजी में भाजपा में शामिल हुए हैं। उनके समर्थक अब चुनाव में भाजपा को वोट डालेंगे। रविंद्र मोल्लू को मायावती का विश्वासपात्र माना जाता रहा है। वह दो बार बसपा से विधायक भी रह चुके हैं। लेकिन पिछले चुनाव में मनपसंद सीट से टिकट ना मिलने पर वह भाजपा छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र निम से पराजित हो गए थे। देवेंद्र निम भी आखिर तक रविंद्र मोल्लू को भाजपा में शामिल कराने का विरोध करते रहे लेकिन सियासी तकाजों के चलते भाजपा के रणनीतिकारों ने सोच विचार कर और उनके सारे विरोध को दरकिनार कर पार्टी में ले लिया और चुनाव प्रचार में उतार दिया।

कुछ समय पूर्व बनियों के बड़े नेता संजय गर्ग को भी भाजपा ने पार्टी में शामिल करा लिया था। उनके आने से भी भाजपा प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा को चुनाव में लाभ हो रहा है।

सं प्रदीप

वार्ता

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