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पारंपरिक चिकित्सा एवं औषधि को लेकर भारत की पहल को दी एससीओ ने मान्यता

नयी दिल्ली, 30 नवंबर (वार्ता) शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच पारंपरिक चिकित्सा एवं औषधियों को लेकर एक विशेषज्ञ समूह गठित करने के भारत की पहल की सराहना की है और इस दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति जतायी है।
एससीओ शासनाध्यक्षों के सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने पारंपरिक चिकित्सा एवं औषधियों पर विशेषज्ञ समूह गठित करने की भारत की पहल को सराहा और उसे स्थापित प्रक्रिया के तहत विचार के लिए स्वीकार किया है।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार, विशेषकर सौदा शर्तें तय करने, निगरानी और विवाद के समाधान के तौर तरीकों को सुधारने की जरूरत पर बल दिया। इसके अलावा एससीओ विकास बैंक एवं एससीओ विकास कोष की स्थापना पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर सहमति जतायी।
भारत ने एससीओ के दायरे में कारोबार, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सहयोग को अधिक मजबूत करने और एससीओ की गतिविधियों को मानव केन्द्रित बनाकर क्षेत्र में अधिक शांति एवं समृद्धि स्थापित करने की उम्मीद जतायी। भारत ने कहा कि उसकी पहल से ना केवल एससीओ के सदस्य देशों को कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित होंगे बल्कि संगठन की मजबूती के लिए भी कारगर होंगे।
एससीओ शासनाध्यक्षाें के सम्मेलन के बारे में विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने संवाददाताओं से कहा कि सम्मेलन में भारत ने सहयोग के तीन नये स्तंभों पर ध्यान केन्द्रित किया : स्टार्ट अप एवं नवान्वेषण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पारंपरिक चिकित्सा एवं औषधि। भारत ने स्टार्ट अप एवं नवान्वेषण पर एक विशेष कार्य समूह बना कर उसकी अध्यक्षता करने और पारंपरिक चिकित्सा एवं औषधि पद्धतियों में सहयोग के लिए एक विशेषज्ञ कार्य समूह गठित करने की पेशकश की है।
श्री स्वरूप ने कहा कि सांस्कृतिक मानवीय पक्ष में भारत ने 2019 में बिश्केक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणाओं को क्रियान्वित किया। भारत ने बौद्ध धरोहर पर एससीओ डिजीटल प्रदर्शनी का आयोजन किया और दस भारतीय शास्त्रों का रूसी एवं चीनी भाषा में अनुवाद कराया। भारत ने 2021 में पहला फूड फेस्टिवल के आयोजन का प्रस्ताव किया है।
श्री स्वरूप ने कहा कि भारत एससीओ को शांति, सुरक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था एवं संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन मानता है और हम इस संगठन में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से सक्रिय, सकारात्मक एवं रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए कृतसंकल्प हैं।
एससीओ में आठ सदस्य - भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गीजस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान है। इनके अलावा ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया पर्यवेक्षक देशों के रूप में शामिल हैं। आज के सम्मेलन भारत की ओर से उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने भाग लिया जबकि रूस, चीन, कजाखस्तान, किर्गीजस्तान, ताजिकिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने भाग लिया। पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मामलों के संसदीय सचिव ने किया। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति, ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति, बेलारूस के प्रधानमंत्री और मंगोलिया के उप प्रधानमंत्री शामिल हुए। तुर्कमेनिस्तान को पहले की भांति विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
सचिन
वार्ता
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