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पहले चरण में कम मतदान से राजनीतिक दल पशोपेश में

पहले चरण में कम मतदान से राजनीतिक दल पशोपेश में

सहारनपुर, 20 अप्रैल (वार्ता) लोकसभा चुनाव के पहले चरण में उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और नगीना समेत पांचों सीटों पर गिरे मतदान ने सभी राजनीतिक दलों की उलझनें बढ़ा दी हैं।

कैराना लोकसभा सीट पर अबकी 61.17 फीसद मतदान हुआ। पिछली दफा 67.44 फीसद मतदान हुआ था। इस सीट पर कुल प्रत्याशी14 हैं जिसमें मुख्य मुकाबला मौजूदा भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी और गठबंधन की सपा उम्मीदवार इकरा हसन के बीच रहा।

कैराना सीट पर दो-दो प्रमुख दलों ने जमकर चुनाव प्रचार किया लेकिन फिर भी 6.27 फीसद मत प्रतिशत गिरने से स्थिति उलझ गई। दोनों पक्ष अपनी-अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। बसपा के ठाकुर श्रीपाल राणा राजपूत बहुल इलाकों में ज्यादा सक्रिय रहे। हालांकि राजपूत समुदाय ने इकरा हसन को समर्थन दिया था लेकिन बसपा उम्मीदवार भी अपनी बिरादरी में हिस्सेदारी करते दिखे। कुछ स्थानों पर भाजपा ने भी राजपूतों का समर्थन मिलने का दावा किया।

केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के कारण मुजफ्फरनगर की वीआईपी सीट पर मतदान में आई नौ फीसद मतों की गिरावट भाजपा के उत्साह को कम करने वाली और चिंता ज्यादा बढ़ाने वाली मानी जा रही है। 18 लाख 41 हजार 497 मतदाताओं वाली इस सीट पर 2019 के चुनाव में 68.20 फीसद वोट पड़े थे और संजीव बालियान ने रालोद सुप्रीमो अजीत सिंह को पराजित कर दिया था। अबकी रालोद का समर्थन भाजपा के साथ था और जयंत चौधरी ने बालियान के पक्ष में कई सभाएं कीं। फिर भी मतदान 59.29 फीसद ही हो पाया।

गठबंधन के सपा उम्मीदवार पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने जाटों के गांवों में संजीव बालियान को बराबर की टक्कर दी। बसपा के प्रजापति कुम्हार बिरादरी के प्रत्याशी दारा सिंह के पक्ष में दलितों के साथ-साथ अति पिछड़ा वर्ग के लोगों ने भारी मतदान किया। मैदान में कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं होने से मुस्लिम मतों का एकतरफा रूझान सपा के पक्ष में दिखा। इस बार खाप पंचायतें और किसान यूनियन चुनाव में तटस्थ रहे।

बिजनोर लोकसभा सीट पर भी मतदान प्रतिशत छह फीसद गिरा। अबकी 58.21 फीसद वोट पड़े। पिछले चुनाव में 66.15 फीसद वोट पड़े थे। इस सीट पर 17 लाख 38 हजार 307 मतदाता हैं और 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। पहले चरण में बिजनौर अकेली सीट है जहां से रालोद उम्मीदवार चुनाव लड़े हैं। मीरापुर के विधायक और रालोद के युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन चौहान का मुकाबला सपा के दीपक सैनी और बसपा के चौधरी वीरेंद्र सिंह से हुआ। रालोद को भाजपा का समर्थन मिलने से चंदन चौहान ने शानदार प्रदर्शन किया जबकि मुस्लिम और दलित वोट सपा उम्मीदवार दीपक सैनी और बसपा उम्मीदवार चौधरी वीरेंद्र सिंह में बंट गए।

मौजूदा सांसद मलूक नागर टिकट ना मिलने से मैदान से बाहर रहे। हालांकि वह लोकदल में शामिल हो गए थे लेकिन पूरे चुनाव के दौरान बिजनौर क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए। चंदन चौहान के पक्ष में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सैनी और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सभाएं की थीं। चंदन चौहान के चुनाव में उनकी पत्नी याशिका चौहान स्टार प्रचारक की भूमिका में रहीं। तीनों प्रमुख उम्मीदवारों चंदन चौहान, दीपक सैनी और चौधरी वीरेंद्र सिंह का यह पहला लोकसभा चुनाव था। चंदन चौहान एक अनुभवी नेता की तरह सधा हुआ चुनाव लड़े।

नगीना सुरक्षित सीट पर चार फीसद कम वोट पड़े। अबकी 59.54 फीसद वोट पड़े जबकि 2019 में 63.64 फीसद वोट पड़े। इस सीट पर 16 लाख 44 हजार 909 मतदाता हैं और कुल प्रत्याशी मैदान में छह हैं। तीन बार के भाजपा विधायक ओम कुमार, सेवानिवृत्त एडीजे मनोज कुमार और बसपा के सुरेंद्र कुमार और आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद प्रमुख उम्मीदवार रहे। चंद्रशेखर आजाद वीआईपी होने के कारण यहां आकर्षण का केंद्र बने रहे। उन्होंने दलित और मुस्लिम दोनों वर्गों को जमकर लुभाया।

सं प्रदीप

वार्ता

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