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भागलपुर में अपनी सियासी ‘जर्मी’ को वापस पाने की तलाश में कांग्रेस, जदयू प्रत्याशी दूसरी बार जीतने को बेताब

भागलपुर में अपनी सियासी ‘जर्मी’ को वापस पाने की तलाश में कांग्रेस, जदयू प्रत्याशी दूसरी बार जीतने को बेताब

पटना, 24 अप्रैल (वार्ता) बिहार लोकसभा चुनाव 2024 में भागलपुर संसदीय सीट पर इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया गठबंधन) के घटक कांग्रेस अपनी सियासी जमीन वापस पाने की तलाश में है वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रत्याशी दूसरी बार जीतने को बेताब हैं।

भागलपुर लोकसभा सीट के चुनावी सफर पर नजर डालें तो वर्ष 1977 को छोड़ दें तो 1957 से लेकर 1984 तक इस सीट पर कांग्रेस का राज रहा और पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद यहां से पांच बार लोकसभा पहुंचे। लगातार पांच बार भागलपुर लोकसभा से परचम लहराने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार भागवत झा आजाद के ‘हाथ’ से वर्ष 1984 के चुनाव में जीत की डोर टूटी तो फिर भागलपुर लोकसभा क्षेत्र किसी एक दल का होकर नहीं रहा। 1989 में हुए भागलपुर दंगे के बाद से कांग्रेस की जो जमीन खिसकी तो फिर उसके पांव नहीं जमे।

इस बार के चुनाव में (इंडिया गठबंधन) में सीटो में तालमेल के तहत भागलपुर सीट इस बार राजद के हिस्से से कांग्रेस को मिल गयी है। भागलपुर संसदीय सीट से कांग्रेस ने भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा को चुनावी रणभूमि में उतारा है। अजीत शर्मा ने 2014 में हुये उपचुनाव, 2015 और 2020 में हुये बिहार विधानसभा चुनाव में भागलपुर से जीत हासिल की है। वह कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे हैं।वहीं राजग की ओर से इस बार के चुनाव में भी भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल चुनावी रणभूमि में उतरे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा जहां चार दशक से भागलपुर में खिसकी सियासी जमीं को पाने की

कोशिश में हैं, वहीं जदयू के वर्तमान सांसद अजय कुमार मंडल दूसरी बार जीत के लिये बेताब हैं।अब देखना होगा कि जदयू भागलपुर में दुबारा अपना परचम लहराने में सफल हो पाती है या अजीत शर्मा यहां कांग्रेस की वापसी कर पायेगे।

सिल्क नगरी भागलपुर सीट पर पहली बार वर्ष 1957 में हुये लोकसभा चुनाव में संविधान सभा के सदस्य रहे कांग्रेस प्रत्याशी बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला ने जीत हासिल की थी।वर्ष 1962 में कांग्रेस प्रत्याशी भागवत झा आजाद ने जीत हासिल की। इसके बाद कांग्रेस उम्मीदवार श्री आजाद ने वर्ष 1967 और वर्ष 1971 में अपने जीत के सिलसिले को बरकरार रखा। वर्ष 1977 में जनता पार्टी की लहर में भारतीय लोकदल (बीएलडी) प्रत्याशी गांधीवादी डा.रामजी सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी श्री आजाद को मात दे दी और उनका विजयी रथ रोक दिया। वर्ष 1980 में श्री आजाद ने फिर वापसी की। कांग्रेस प्रत्याशी श्री आजाद ने जनता पार्टी (सेक्यूलर) के जगेश्वर मंडल को पराजित किया। जनता पार्टी उम्मीदवार रामजी सिंह तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 1984 में भी श्री आजाद ने बाजी अपने नाम की। इस संसदीय क्षेत्र में यह कांग्रेस की आखिरी जीत थी।

वर्ष 1989 के चुनाव में जनता दल उम्मीदवार चुनचुन प्रसाद यादव ने कांग्रेस उम्मीदवार श्री आजाद को शिकस्त दे दी। कांग्रेस में यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद की हुआ करती थी। भागलपुर लोकसभा चुनाव के इतिहास में 1989 का हार-जीत के अंतर का रिकार्ड अभी तक नहीं टूटा है। जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े चुनचुन प्रसाद यादव ने भागवत झा आजाद को चार लाख 35 हजार 398 मतों के अंतर से पराजित किया था। इससे पूर्व चुनचुन प्रसाद यादव नाथनगर विधानसभा से वर्ष 1969,1972 और 1985 में विधायक भी रहे थे।वर्ष 1991 में एक बार फिर जनता दल उम्मीदवार श्री यादव ने जीत अपने नाम की। निर्दलीय प्रत्याशी सदानंद सिंह दूसरे जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी बिजॉय कुमार मित्रा तीसरे नंबर पर रहे। 1996 के चुनाव में जनता दल के श्री यादव ने जीत की हैट्रिक लगायी।वर्ष 1998 के चुनाव में भाजपा के प्रभास चंद्र तिवारी ने जनता दल के श्री यादव को पराजित कर पहली बार यहां पार्टी का ‘केसरिया’ लहराया।

वर्ष 1999 के चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)के सुबोध राय ने भाजपा के श्री तिवारी को मात दे दी।माकपा की टिकट पर चुनाव जीतने वाले सुबोध राय अंतिम वामदल के सांसद थे। इसके बाद वर्ष 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी वामदल का खाता बिहार में नहीं खुला है। 2004 में भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने फिर से यह सीट वापस छीन ली। वर्ष 2004 में भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने माकपा के सुबोध राय को पराजित किया। वर्ष 2005 में जब बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनीं तो सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री बनाये गये। श्री मोदी के लोकसभा सदस्य से इस्तीफा देने के बाद भागलपुर में वर्ष 2006 में उपचुनाव कराये गये। इस चुनाव में भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन ने जीत हासिल की। वर्ष 2009 के चुनाव में भाजपा के श्री हुसैन ने फिर जीत हासिल की। अभी वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के पिता राष्ट्रीय जनता दल प्रत्याशी शकुनी चौधरी दूसरे, कांग्रेस के सदानंद सिंह तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद शाहनवाज हुसैन जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गये।यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गयी। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे भाजपा के श्री हुसैन को पराजित किया। 2019 चुनाव में भाजपा ने शाहनबाज को टिकट नहीं दिया,यह सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में तालमेल के तहत जदयू को मिली। वर्ष 2019 के चुनाव में (राजग) में शामिल जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रत्याशी अजय कुमार मंडल ने महागगठबंधन में शामिल राजद उम्मीदवार शैलेश कुमार मंडल उर्फ बुलो मंडल को पराजित किया।

भागलपुर दंगों और 'मंडल' की राजनीति के उभार के बाद में बिहार में कांग्रेस के कमज़ोर पड़ने की शुरुआत हुई थी, लेकिन चार दशक बाद कांग्रेस इस सीट को फिर से जीतने की उम्मीद लगा रही है।कांग्रेस ने यहां अंतिम बार 2009 में चुनाव लड़ा था। कांग्रेस प्रत्याशी और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सदानंद सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।इस बार कांग्रेस नए दांव आज़माती हुई दिख रही है। इस वजह से भागलपुर लोकसभा सीट पर चुनावी मुक़ाबला काफ़ी रोचक हो गया है।

भागलपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस ने सर्वाधिक छह बार प्रतिनधित्व किया। एक बार बनारसी झुनझुनवाला जबकि पांच बार भगवत झा आजाद थे। भाजपा को चार बार जीत मिली।इनमें प्रभाषचंद्र तिवारी, सुशील मोदी, और दो बार शाहनवाज हुसैन जीते थे। तीन बार जनता दल प्रत्याशी चुनचुन यादव की किस्मत चमकी। बीएलडी,माकपा, राजद, और जदयू के प्रत्याशी ने एक-एक बार अपने सर जीत का सेहरा लगाया ।

भागलपुर के चुनावी रण में एक तरफ़ मौजूदा सांसद अजय मंडल हैं और दूसरी तरफ भागलपुर विधानसभा सीट के विधायक अजीत शर्मा। कांग्रेस डेढ़ दशक के बाद अपने गढ़ रहे भागलपुर से चुनाव लड़ रही है। इस बीच राजद के भागलपुर से पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने जदयू का दामन थाम लिया है। भागलपुर सीट इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस को जाने के बाद बुलो मंडल नाराज चल रहे थे। श्री मंडल के जदयू में शामिल होने से भागलपुर में कांग्रेस की मुश्किल बढ़ गयी है। भागलपुर में 1989 में हिंदू-मुस्लिम दंगा हुआ। इस दंगे ने बिहार की पूरी सियासत को बदलकर रख दिया। उस समय बिहार में कांग्रेस की सरकार थी। वर्ष 1989 के दंगे को शहर जैसे राजनीतिक रूप से भूल चुका है। इसलिए इसकी वजह से कांग्रेस यहां अब कमजोर नहीं। दंगे के बाद लालू प्रसाद सत्ता में आए थे कांग्रेस के खिलाफ, अब कांग्रेस-लालू साथ हैं।इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के पक्ष में वाम संगठन की ताकत भी दिखेगी। माकपा के सुबोध राय एक बार यहां से सांसद रह चुके हैं।

1990 के बाद भागलपुर में समीकरण बदल गए हैं।जनता दल, माकपा, भाजपा, राजद और जदयू ने इस सीट से जीत हासिल की।भागवत झा आजाद भागलपुर के अकेले ऐसे सांसद रहे जो सांसद रहते हुए केन्द्र में मंत्री बने। उन्हें युवा तुर्क कहा जाता था। उन्होंने 1967 से 1983 तक कृषि, शिक्षा, श्रम और रोजगार, आपूर्ति और पुनर्वास, नागरिक उड्डयन और खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालयों में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। 14 फरवरी 1988 से 10 मार्च 1989 तक वह बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे।

कांग्रेस ने वोटरों को साधने के लिए भागलपुर में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा कराई है। पूर्व उप मुख्यमत्री राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव एवं विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख के मुकेश सहनी ने भी चुनावी सभा कर अपने पारंपरिक वोट बैंक को साथ आने की अपील की है। नौकरी एवं अग्निवीर योजना पर राहुल-तेजस्वी की बातें युवाओं को रिझाती हुई दिख रही हैं।जदयू ने अपना जोर माइक्रो मैनेजमेंट पर लगाते हुए जातियों को साधने की रणनीति अपनाई है।बुलो मंडल को राजद से जदयू में शामिल कराना मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। जदयू प्रत्याशी श्री मंडल के पक्ष में केन्द्रीय रक्षा मंत्री

राजनाथ सिंह, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ,जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने चुनावी सभा को संबोधित किया है।अजीत शर्मा की बेटी बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा शर्मा ने अपने पिता के लिए रोड शो किया और जनता से वोट मांगे। वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी नेहा शर्मा ने अपने पिता के लिए रोड शो किया था, जिसमें अजीत शर्मा की जीत हुई थी।

भागलपुर संसदीय सीट से जदयू, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चार निर्दलीय समेत 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। भागलपुर संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र बिहपुर, पीरपैंती ,कहलगांव,गोपालपुर,नाथनगर और भागलपुर शामिल हैं।इनमें बिहपुर, पीरपैंती एवं कहलगांव में भाजपा, गोपालपुर में जदयू, नाथनगर मे राजद और भागलपुर में कांग्रेस का कब्जा है। भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 23 लाख 19 हजार 233 है। इनमें 12 लाख पांच हजार 64 पुरूष, 11 लाख 14 हजार 37 महिला और थर्ड जेंडर 924 हैं, जो दूसरे चरण में 26 अप्रैल को होने वाले मतदान में इन 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। देखना दिलचस्प होगा कि भागलपुर के रण में कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा की ‘जीत’ होती है या फिर जदयू प्रत्याशी अजय मंडल को दुबारा ‘विजयी’ बनाती है।

प्रेम

वार्ता

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