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भविष्य के कार्यबल को एआई की चुनौतियों से निपटने हेतु तैयार किया जाना चाहिए:सीताराम

भुवनेश्वर, 27 अप्रैल (वार्ता) अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) टी.जी. सीताराम ने शनिवार को कहा कि भविष्य के कार्यबल को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की नई चुनौतियों के अनुकूल होने के लिए सुसज्जित होना चाहिए, जिसने मानव मन में आशा और भय दोनों पैदा किया है।
यहां शिक्षा 'ओ' अनुसंधान डीम्ड यूनिवर्सिटी (एसओए) में दो दिवसीय एचआर कॉन्क्लेव 'एसओए प्रॉक्सिमा-2024' को संबोधित करते हुए डॉ. सीताराम ने कहा कि एआई जैसी विघटनकारी तकनीक में अभूतपूर्व उछाल ने मानव मन में आशा और डर दोनों पैदा किया है।
उन्होंने जोर देकर कहा,“समय की मांग भविष्य के कार्यबल को ऐसी नई चुनौतियों के अनुकूल तैयार करने की है।”
प्रोफेसर सीताराम ने कहा,“हर बार जब हमने नई तकनीक का सामना किया है, तो इसने मानव मन में कुछ डर पैदा कर दिया है, लेकिन हमने इसे अपनाना सीख लिया है और एआई चुनौती का सामना करने के लिए हमें ऐसा करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि आज जो प्रश्न पूछे जा रहे हैं, उनमें शामिल हैं: क्या सचमुच मनुष्यों का स्थान एआई ले लेगा? क्या बड़े पैमाने पर नौकरी की हानि होगी ? क्या मशीनें अति-बुद्धिमान हो जाएंगी और क्या मनुष्य अंततः नियंत्रण खो देंगे? उन्होंने ये बातें देश भर के लगभग 100 उद्योगों के मानव संसाधन पेशेवरों और विश्वविद्यालय के छात्रों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा,“ये प्रश्न चिंताजनक हैं और इन्हें विविध राय और विचार प्रक्रियाओं के साथ संबोधित करने की आवश्यकता है। यह इंसान ही हैं, जिन्होंने अपने कार्यों को आसान बनाने के लिए इन तकनीकों का निर्माण किया है और परिणामस्वरूप खुद को एक कठिन परिस्थिति में पाया है।” उन्होंने कहा कि एआई का अस्तित्व एक दशक पहले अज्ञात था। यह संगीत, कला और साहित्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में मानव प्रदर्शन को सफलतापूर्वक पार कर रहा है और अकल्पनीय गति से काम कर रहा है।
एआईसीटीई अध्यक्ष ने याद दिलाया कि मानव जाति पहले भी कंप्यूटर, मोबाइल फोन और इंटरनेट जैसे नए तकनीकी विकास के बारे में आशंकित थी, लेकिन अंततः उन्हें अपनाना सीख लिया। उन्होंने कहा,“शैक्षणिक और उद्योग समुदाय के सही मार्गदर्शन और उनके सुझावों के उचित कार्यान्वयन के साथ एआई और अन्य विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के साथ भी ऐसा ही किया जा सकता है। हमें एक ऐसा कार्यबल बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा, जो उभरती प्रौद्योगिकियों को संभालने के लिए सुसज्जित हो।”
उन्होंने कहा कि एआईसीटीई भारतीय छात्रों और संकाय को एआई के उपयोग के लिए अनुकूलित करने के लिए गंभीर कदम उठा रहा है, जिसमें उभरती प्रौद्योगिकियों में पाठ्यक्रम लाने से लेकर एआई और डेटा साइंस (डीएस) पर संकाय विकास कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। हमारे छात्र और संकाय सदस्य उन्नत तकनीकों के साथ हैं।
उन्होंने 'प्रॉक्सिमा-2024' जैसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए एसओए की सराहना की और कहा कि यह बौद्धिक सोच, नवीन विचारों और अनुभवात्मक शिक्षा के लिए एक मंच है, जो छात्रों की क्षमता का दोहन करेगा।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करने वाले एसओए के कुलपति प्रो. प्रदीप्त कुमार नंदा ने कहा कि डीम्ड यूनिवर्सिटी संस्थानों को उद्योग से जोड़ने के लिए कदम उठा रही है, जैसा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) में जोर दिया गया है। इससे पहले शुक्रवार को कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र को टाटा इंटरनेशनल के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. संदीपन चक्रवर्ती ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को जल्द ही एक नई दुनिया का सामना करना पड़ेगा और नई स्थिति के अनुकूल खुद को बदलने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा,“हम एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स और सेमीकंडक्टर से जुड़ी पांचवीं औद्योगिक क्रांति की दहलीज पर हैं।” उन्होंने कहा कि छात्रों को बदलती दुनिया के साथ तालमेल रखने के लिए चार चीजें सीखनी होंगी: इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। , डिजिटलीकरण, और वित्त। डॉ. चक्रवर्ती ने कहा,“महत्वपूर्ण यह है कि आप कैसा प्रदर्शन करते हैं, और ज़रूरत यह है कि सीखते रहें और खुद को अपडेट करते रहें।”
संतोष.संजय
वार्ता
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