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मंडी में किंग व बॉलीवुड क्वीन के बीच रोचक भिडंत

शिमला, 23 अप्रैल (वार्ता) हिमाचल प्रदेश में सबसे हॉट मानी जा रही मंडी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत तो कांग्रेस ने युवा मंत्री विक्रमादित्य सिंह को चुनावी रण में उतारा है। इस सीट पर पूरे देश की निगाहें लगी हैं।
वर्ष 1952 में अस्तित्व में आए इस संसदीय क्षेत्र में ज्यादातर राजघरानों के नुमाइंदों का वर्चस्व रहा। चाहे वह मंडी राजघराने के सेन वंश से जुडे़ देवेंद्र सेन व ललित सेन रहे हों, चाहे बुशहर रियासत के राजा वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह हों।
भाजपा ने भी इसी तर्ज पर कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह को यहां से टिकट देकर दो बार लोकसभा में मंडी का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। इसी परिपाटी को जारी रखते हुए कांग्रेस ने फिर से बुशहर के युवराज व वर्तमान में सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह को सियासी रण में उतारा है। वह इस सीट से वर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह के पुत्र भी हैं।
इस क्षेत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें मंडी जिला की नौ विधानसभा सीटों के अलावा तीन कबायली विधानसभा क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया गया है। किन्नौर व लाहौल-स्पीति अपने आप में जिले हैं, जबकि एक अन्य विस क्षेत्र भरमौर चंबा जिला में पड़ता है। वहीं, शिमला जिला की रामपुर, कुल्लू की चार विधानसभा सीटें भी मंडी क्षेत्र में आती हैं।
इस सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे पहले यहां से 1952 में राजकुमारी अमृत कौर कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनी। तब यह पंजाब का हिस्सा था। वर्ष 1957 में मंडी के राजा जोगिंद्र सेन, 1962 व 1967 में मंडी राजघराने से जुड़े ललित सेन जीत कर लोकसभा में पहुंचे थे। वर्ष 1971 में दिवंगत वीरभद्र सिंह ने यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। वह सबसे कम उम्र के सांसद बने।
उसके बाद 1977 में जनता पार्टी की लहर में यहां से जनसंघ के गंगा सिंह निर्वाचित हुए। 1980 में फिर स्व. वीरभद्र सिंह दोबारा कांग्रेस के टिकट पर जीते। वर्ष 1984 में पंडित सुखराम, 1989 में भाजपा के महेश्वर सिंह यहां जीत का परचम लहराने में सफल हुए। वर्ष 1991 व 1996 में कांग्रेस से फिर पंडित सुखराम सांसद बने जबकि 1998 में भाजपा के महेश्वर सिंह यहां से चुनाव जीते। वर्ष 2004 में स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी व निवर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह ने पहली बार यहां से सांसद की दहलीज लांघी।
वर्ष 2009 में कांग्रेस ने विजय क्रम को जारी रखते हुए स्व. वीरभद्र सिंह को दोबारा संसद भेजा। उस वक्त वीरभद्र सिंह केंद्र की मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। वर्ष 2013 में प्रतिभा सिंह कांग्रेस के टिकट पर फिर से निर्वाचित हुईं। वर्ष 2014 व 2019 में भाजपा के दिवंगत राम स्वरूप शर्मा यहां से जीते। अचानक 2021 में उनके देहांत के बाद हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने भाजपा के सत्तारूढ़ होते हुए भी यहां से जीत दर्ज की।
अब देखना है कि इस दफा राजपरिवार के श्री विक्रमादित्य सिंह यहां से जीत के क्रम को दोहरा सकते हैं या सरकाघाट क्षेत्र से संबंध रखने वाली बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत राजपरिवारों के वर्चस्व को तोड़ती हैं।
यह संसदीय क्षेत्र भौगोलिक रूप से काफी विस्तृत है। एक और सुदूर हिमालय में स्थित किन्नौर, लाहौल स्पीति व भरमौर है, वहीं कुल्लू का आउटर सिराज का आनी व करसोग, शिमला का रामपुर इस लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों के प्रचार में पसीने छुड़ाता है। इस बार चुनाव में काफी समय होने के चलते शायद प्रत्याशी हर विधानसभा क्षेत्र में लोगों से रूबरू हो सके। इससे पहले चुनाव में यह मुश्किल से ही संभव हो पाता था।
सं.संजय
वार्ता
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