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मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून में तीमारदारों को जोड़ने की जरूरत: डॉ पुरोहित

जालंधर 18 अप्रैल (वार्ता) एसोसिएशन ऑफ स्टडीज इन मेंटल केयर के प्रधान अन्वेषक
डॉ नरेश पुरोहित ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में 'मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के कार्यान्वयन' को जोड़ देने
के लिये पत्र लिखा है।
डॉ पुरोहित ने गुरुवार को कहा कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम में देखभाल करने वालों को जोड़ने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम-2017 के अनुसार किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती होने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है और उन्हें इलाज से इनकार करने का अधिकार है (गंभीर मामलों को छोड़कर)। हालाँकि, ऐसे मामलों में देखभाल करने वाले को क्या करना चाहिये, इस पर अधिनियम चुप है। देखभाल करने वाले को भुला दिया गया है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी कुछ भी नहीं कहती या देखभाल करने वाले को कोई अधिकार नहीं देती।
डॉ पुरोहित ने गुरुवार को मोहाली स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य नीति और सेवा सुधार पर एक भाषण देने के बाद इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुये यूनीवार्ता से कहा कि ऐसे देश में जहां 90 प्रतिशत मनोरोगी अपने परिवारों के साथ रहते हैं, देखभाल करने वालों को अभी भी बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया जाता है।
जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंसेज इन रूरल प्रैक्टिस में प्रकाशित अपने हालिया अध्ययन का हवाला देते हुये डॉ पुरोहित ने कहा कि जीवनसाथी पर देखभाल का बोझ अधिक होता है। उन्होंने कहा, “1-2 साल तक देखभाल प्रदान करने वालों की तुलना में पांच साल से अधिक समय तक देखभाल प्रदान करने से गंभीर बोझ की संभावना 2.37 गुना तक बढ़ गयी। ”
उन्होंने कहा, “ पिछले दशक में, भारत ने मानसिक स्वास्थ्य को मुख्य धारा की बातचीत
में शामिल करने में बड़ी प्रगति की है। यह अब कॉर्पोरेट क्षेत्र में मानव संसाधन नीतियों का हिस्सा है, और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के तहत, भारतीय बीमा नियामक
और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने भी बीमा कंपनियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य कवरेज को शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन सब कुछ राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और विकेन्द्रीकृत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम - रोगी पर भारी
पड़ता है। ”
डॉ पुरोहित ने कहा, “ भारतीय परिवार संरचना और गतिशीलता और भारतीय समुदाय में काम करने के संदर्भ में, विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार की चिंताओं को शामिल करने
के लिये उपयुक्त संशोधनों के बिना, वर्तमान अधिनियम भारतीय एकजुट परिवार गतिशीलता पर लागू एक विदेशी पश्चिमी कानून के रूप में खड़ा होगा। ”
उन्होंने देखभाल करने वालों के लिये एक अलग अधिनियम पर जोर दिया, जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वित्तीय सहायता, हेल्पलाइन और परामर्श सेवाएं प्रदान करेगा, इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहन, और बढ़ती आबादी
की स्वीकार्यता।
डॉ पुरोहित ने सुझाव दिया कि कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों की तर्ज पर एक देखभालकर्ता प्रणाली विकसित की जानी चाहिये। इन देशों में सवेतन देखभाल करने वालों का एक सुव्यवस्थित पारिस्थितिकी तंत्र है और उनके लिए विशिष्ट योजनायें हैं। उन्होंने कहा कि ये चीजें देखभाल करने वालों को सीधे तौर पर मदद नहीं करती हैं, लेकिन अगर इनसे मरीज को फायदा होता है, तो यह देखभाल करने वालों के लिए एक बड़ी मदद होगी।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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