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लाेकसभा चुनाव में उदयपुर सुरक्षित सीट पर दो पूर्व अधिकारियों में मुख्य मुकाबला

लाेकसभा चुनाव में उदयपुर सुरक्षित सीट पर दो पूर्व अधिकारियों में मुख्य मुकाबला

उदयपुर 22 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान में 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा आम चुनाव के दूसरे चरण में उदयपुर (अनुसूचित जनजाति) लोकसभा सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं कांग्रेस के बीच दो पूर्व अधिकारियों में मुख्य मुकाबला होने के आसार है।

अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का दबदबा वाली इस सीट पर इस बार इन दोनों ही प्रमुख दलों ने नये चेहरों पर दांव खेला हैं और भाजपा ने परिवहन विभाग में अतिरिक्त आयुक्त रहे मन्ना लाल रावत को चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि कांग्रेस ने उदयपुर में कलेक्टर रह चुके ताराचंद मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया हैं। इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलपत राम गरासिया, भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के प्रकाश चंद्र एवं इंडियन पीपुल्स ग्रीन पार्टी के राजेन्द्र कुमार मीणा एवं तीन निर्दलीयों सहित आठ उम्मीदवार इस चुनाव में अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

इस संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा क्षेत्रों में गोगुन्दा, झाड़ोल, उदयपुर, उदयपुर ग्रामीण एवं सलूम्बर में भाजपा के विधायक हैं जबकि धरियावद एवं आसपुर में बीएपी तथा खेरवाड़ा में कांग्रेस का विधायक हैं। ऐसे में वर्तमान में संसदीय क्षेत्र में भाजपा की राजनीतिक स्थिति मजबूत मानी जा रही है। हालांकि चुनाव में राजनीतिक दलों के नेता अपने अपने उम्मीदवार की जीत के दावे कर रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी एवं केन्द्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर चुनाव प्रचार कर रही हैं जबकि कांग्रेस पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय किए गए कार्याें एवं कांग्रेस द्वारा अपने घोषणा पत्र में की गई गारंटियों का प्रचार कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है।

आजादी के बाद से अब तक हुए सत्रह लोकसभा चुनावों में सर्वाधिक दस बार चुनाव जीतकर कांग्रेस ने इस क्षेत्र में अपना राजनीतिक दबदबा रखा हैं लेकिन पिछले दो चुनावों में लगातार भाजपा का कब्जा हैं। वर्ष 1952 के पहले चुनाव से वर्ष 1967 तक लगातार कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा और इस दौरान वर्ष 1952 में बलवंत सिंह मेहता, 1957 में दीनबंधु परमार, 1962 एवं 1967 में धुलेश्वर मीणा ने चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वर्ष 1971 में जनसंघ के लालजीभाई मीणा जीते जबकि वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के भानु प्रकाश शास्त्री सांसद बनकर इस क्षेत्र से संसद पहुंचे।

इसके बाद वर्ष 1980 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने वापसी की और कांग्रेस आई के मोहन लाल सुखाडिया ने चुनाव जीता और वर्ष 1984 में उनकी पत्नी इंदुबाला सुखाड़िया इस क्षेत्र से सांसद बनी। वर्ष 1989 में भाजपा के उम्मीदवार गुलाब चंद कटारिया ने चुनाव जीतकर पार्टी के लिए यहां से खाता खोला और इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद फिर कांग्रेस ने वापसी करते हुए उसकी प्रत्याशी गिरिजा व्यास ने लगातार वर्ष 1991 एवं 1996 के दो लोकसभा चुनाव जीते और इसके बाद उन्होंने वर्ष 1999 में भी चुनाव जीतकर कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1998 में भाजपा के शंतिलाल चपलोत ने चुनाव जीता जबकि वर्ष 2004 में भाजपा की किरण माहेश्वरी यहां से सांसद बनी। वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस के रघुवीर मीण ने चुनाव जीतकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद वर्ष 2014 एवं 2019 के दोनों लोकसभा चुनाव भाजपा के अर्जुन लाल मीणा ने जीते और दस साल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और नये चेहरे मन्नालाल रावत पर भरोसा जताया है।

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