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वाराणसी में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित, हजारों लोग घर छोड़ने को मजबूर

वाराणसी में बाढ़ से जनजीवन प्रभावित, हजारों लोग घर छोड़ने को मजबूर

वाराणसी, 18 सितंबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बारिश और गंगा का जलस्तर खतरे का निशान पार करने से यहां के कई इलाकों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है।

सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि राज घाट, चौका घाट, असि घाट, भदौनी एवं सामने घाट के आसपास की कई कॉलोनियों में बाढ़ का पानी घुसने से अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) एवं पीएसी के जवान प्रभावित लोगों की मदद में जुटे हैं। लंका क्षेत्र में मारुति नगर, गायत्री नगर, नक्खी घाट समेत कई इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। बहुत से लोग अपने घरों को छोड़कर जाने को लेकर दुविधा में पड़े हैं लेकिन प्रशासन उनसे सुरक्षित स्थानों पर जाने की लगातार अपील करने के साथ ही उन्हें नाव के सहारे मदद कर रहा है।

विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट, शितला घाट, असि घाट समेत तमाम गंगा घाट पानी में डूब गए हैं। इस वजह से दूर-दूर आये सैंकड़ों श्रद्धालुओं को अपने पितरों का श्राद्ध कर्म एवं पूजा-पाठ करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। लोग घाट के बजाये आसपास की सड़कों पर ही श्राद्ध कर्म करने को मजबूर हैं।

हरिशचंद्र घाट एवं मणिकर्णिका घाट पर पानी भरने से इन घाटों पर शवदाह की व्यवस्था भी चरमरा गई हैं। शवदाह के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।

गंगा एवं उसकी सहायक नदी वरुणा का जलस्तर बढ़ने से शहर का पानी उधर नहीं जा पा रहा है। दो दिनों से रुक-रुकर हो रही तेज बारिश के बाद शहरी इलाके का जनजीवन प्रभावित है। गोदलिया एवं गिराघर चौराहे तथा आसपास की कॉलोनियों और बाजारों में घंटों पानी जमा के कारण चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया हैं। बहुत से लोग अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं।

सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सदर तहसील के 97 गांवों में बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं जबकि राजातालाब तहसील के कुछ गांव भी पानी से घिर गए हैं। उनका कहना है कि बाकी क्षेत्रों में स्थिति सामान्य है।

उन्होंने बताया बुधवार शाम छह बजे तक सदर तहसील से 1562 परिवारों के बाढ़ पीड़ित होने की सूचना मिली। जिला प्रशासन की ओर से उनके लिए 32 राहत शिविर स्थापित किये गए हैं तथा उन्हें रोजमर्रा की जरूरी चीजें उपलब्ध करायी जा रही हैं।

सरकारी आंकड़ों के उलट सूत्रों का कहना है कि गंगा एवं उसकी सहायक नदी वरुणा के तटीय इलाकों में रहने वाले हजारों परिवार बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। उन्हें घर छोड़कर अपने नाते-रिश्तेदारों या राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ रही है। बाढ़ से घिरे ज्यादातर इलाकों में गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों के मकान हैं। उनमें सैकड़ों लोग अपने घरों में बुनकरी एवं इसी प्रकार कुछ काम कर अपनी रोजी रोटी चलाते हैं। बाढ़ के कारण उनका काम बंद हो गया है।

केंद्रीय जल आयोग के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बुधवार शाम छह बजे जलस्तर 71.33 दर्ज किया गया तथा बढ़ोतरी प्रति दो घंटे पर एक सेंटीमीटर की रफ्तार से हो रही। उन्होंने बताया कि सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान यानी 71.26 मीटर को पार कर गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन से संबंधित कार्यक्रमों में भाग ले यहां आये उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के बारे में लगातार जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को आला अधिकारियों के साथ दौरा कर पीड़ितों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।

कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने भी प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पीड़ितों से मुलाकात की तथा उन्हें खाने-पीने एवं रोजमर्रा की चीजें वितरित कीं। उनके साथ प्रजानाथ शर्मा समेत अनेक कांग्रेस के नेता एवं कार्यकर्ताओं भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों की मदद की।

बीरेंद्र त्यागी

वार्ता

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