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विश्व-स्तर की शिक्षा व सेवा प्रदान करना एम्स संस्थानों की बड़ी उपलब्धि: मुर्मू

विश्व-स्तर की शिक्षा व सेवा प्रदान करना एम्स संस्थानों की बड़ी उपलब्धि: मुर्मू

ऋषिकेश, 23 अप्रैल (वार्ता) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व-स्तर की शिक्षा और सेवा प्रदान करना एम्स, ऋषिकेश सहित, सभी अन्य एम्स संस्थानों की एक बहुत बड़ी राष्ट्रीय उपलब्धि है। शैक्षिक (टीचिंग) हॉस्पिटल्स के रूप में एम्स संस्थानों ने सर्वश्रेष्ठ मापदंड स्थापित किए हैं। इसके लिए मैं एम्स संस्थानों से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं।

श्रीमती मुर्मू ने कहा,“मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि यहां के विद्यार्थियों में छात्राओं की कुल संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है।” उन्होंने कहा,“पिछले सप्ताह मेरी मुलाक़ात इंडियन इकोनॉमिक सर्विस के अधिकारियों के नए बैचेस से हुई थी। उन अधिकारियों में भी लगभग 60 प्रतिशत संख्या महिला अधिकारियों की थी। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थ-व्यवस्था से जुड़े नीति निर्धारण से लेकर, टेर्टियरी हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती हुई भागीदारी एक बहुत बड़े और अच्छे सामाजिक बदलाव की तस्वीर प्रस्तुत करती है।”

राष्ट्रपति ने कहा,“बेटियों की भागीदारी और सफलता के लिए मैं, एम्स ऋषिकेश, सभी छात्राओं के परिवार-जनों और सभी बेटियों को विशेष बधाई देती हूं। यह भी एम्स, ऋषिकेश के लिए और पूरे समाज के लिए गर्व की बात है कि इस दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या, छात्रों से अधिक है।”

श्रीमती मुर्मू ने एम्स की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारे देशवासियों के लिए इसका मतलब सबसे अच्छे डॉक्टरों द्वारा इलाज होना होता है। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा इलाज और कम से कम खर्च में इलाज होना भी एम्स की पहचान है। एम्स के इलाज का फायदा अधिक से अधिक लोगों को मिल सके तथा और अधिक संख्या में आप जैसे मेधावी विद्यार्थी एम्स में शिक्षा प्राप्त कर सकें, इन उद्देश्यों के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक ‘एम्स’ की स्थापना की जा रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद सहित, भारतीय परंपरा की उपचार पद्धतियों के लिए उत्तराखंड में अनेक लोकप्रिय स्वास्थ्य केंद्र सेवारत हैं। एम्स, ऋषिकेश में एलोपैथी के साथ-साथ, आयुष चिकित्सा पद्धतियों द्वारा भी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि व्यापक स्तर पर, उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराते हुए उत्तराखंड की इस ‘देव भूमि’ की ख्याति, ‘आरोग्य भूमि’ के रूप में भी स्थापित हो। उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन महाकाव्यों में, उत्तराखंड के क्षेत्र को औषधि और उपचार से जोड़ा गया है। रामायण की कथा के अनुसार, इसी क्षेत्र से संजीवनी बूटी लेकर वायु मार्ग से हनुमान जी, प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी के पास पहुंचे थे तथा लक्ष्मण जी के उपचार में अपना योगदान दिया था। ऐसे कथानकों के माध्यम से हमारे पूर्वजों ने गहन और कल्याणकारी संदेश दिए हैं।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि इसी महीने चार अप्रैल को मुझे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबई तथा टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल द्वारा कार टी सेल थेरेपी लॉन्च करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। भारत में पहली बार इस तरह की जिन थेरेपी विकसित की गई है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि यह थेरेपी अन्य देशों की तुलना में बहुत कम खर्च पर उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि एम्स, ऋषिकेश को ऐसे क्षेत्रों में कॉलेबोरेशन करके तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है, जो विश्व में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि इसके इलाज के रूप में सेमाग्लुटाइड आजकल चर्चा में है। उत्तराखंड में धूप की कमी के कारण तथा स्थानीय खान-पान के कारण ओस्टियोपोरोसिस तथा एनीमिया जैसी बीमारियों से लोग, विशेषकर महिलाएं प्रभावित होती हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल मेडिसिन के इस युग में भी मेडिसिन से जुड़ी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं के बारे में अनुसंधान करना तथा उनका समाधान करना एम्स, ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तेज गति से परिवर्तन हो रहे हैं। परिवर्तन की यह गति बढ़ती ही रहेगी। इसलिए, आप सब हमेशा कुछ नया सीखने और कुछ नया करने का उत्साह बनाए रखें।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर, मेडिकल के 598 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। साथ ही, टाॅपर छात्र-छात्राओं को 14 स्वर्ण पदकों सहित कुल 16 पदकों से नवाजा गया।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रिटायर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। आभार एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने व्यक्त किया।

सुमिताभ.संजय

वार्ता

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