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शिमला संसदीय क्षेत्र से दयाल प्यारी टिकट से वंचित

शिमला, 27 अप्रैल (वार्ता) हिमाचल प्रदेश के शिमला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट के दावेदारों में दयाल प्यारी फ्रंट रनर थी। महिला होने के नाते भी दयाल प्यारी की स्थिति मजबूत थी। पर, अंतिम समय पर कांग्रेस ने कसौली के युवा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को टिकट थमा दिया। इसी बीच ये खबर आई कि गंगू राम मुसाफिर की कांग्रेस में वापसी हो गई है। लेकिन अगले दिन ही पार्टी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए इससे इंकार कर दिया।
दरअसल, राजनीतिक घटनाक्रम सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है। दयाल प्यारी को टिकट से इंकार की बड़ी वजह यही मानी जा रही है कि उनकी पृष्ठभूमि भारतीय जनता पार्टी से है। यदि राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद सरकार पर सियासी संकट पैदा नहीं हुआ होता तो भी दयाल प्यारी को टिकट दिया जा सकता था।
कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मुसाफिर का टिकट काट कर दयाल प्यारी को मैदान में उतारा था। वह 28.25 प्रतिशत वोट लेने में सफल हो गई थी, लेकिन मुसाफिर की झोली में 21.46 प्रतिशत वोट डलने से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की रीना कश्यप ने 34.52 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत दर्ज कर ली।
बहरहाल, दयाल प्यारी को टिकट के इंकार की वजह भाजपा की पृष्ठभूमि ही माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पच्छाद के सराहां में स्टेज पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में धक्का-मुक्की के बाद दयाल प्यारी ने अपनी ही पार्टी के नेता के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया था।
उधर, मुसाफिर के घर वापसी के सफर में रोड़े की भी एक बड़ी वजह है। दरअसल, जब कांग्रेस ने मुसाफिर का टिकट काट कर दयाल प्यारी को दिया था, उस समय मुसाफिर के समर्थकों ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। हो सकता है, शुक्ला के जहन में ये टीस भी बरकरार हो। शुक्ला ने ही दयाल प्यारी की एंट्री कांग्रेस में करवाई थी।
ये अलग बात है कि मुसाफिर पार्टी के प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी के पक्ष में खुलकर प्रचार कर रहे हैं, यहां तक की एक-दो मंच तो मुसाफिर व दयाल प्यारी ने एक साथ साझा भी किए हैं।
सं.संजय
वार्ता
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