हांगकांग 26 मई (वार्ता) हांगकांग की प्रमुख नेता कैरी लाम ने विवादास्पद नये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का समर्थन करते हुए कहा है कि किसी भी अन्य देश को हांगकांग के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हांगकांग में राजद्रोह, अलगाववाद, देशद्रोह और तोड़फोड़ जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाएगा।
सुश्री लाम ने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में चीन की ओर से प्रस्तावित कानून का समर्थन करते हुए कहा कि कानून का पालन करने वाले लोगों की सुरक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है और इससे लोगों की आजादी तथा अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन को सौंपा था और उस समय से ही हांगकांग के मिनी कांस्टीट्यूशन कहे जाने वाले कानून में उसके नागरिकों को कुछ अधिकार प्राप्त हैं। जिसमें प्रदर्शन करने का अधिकार भी शामिल है।
हांगकांग में इस कानून के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उनका मानना है कि इससे उनकी आजादी और अधिकारों को खतरा है। गत सप्ताह हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े थे। चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के वार्षिक सत्र में शुक्रवार को सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने हांगकांग में कथित अलगाववादी, विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियाें के अलावा विदेशी हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का प्रस्ताव पेश किया था। एनपीसी का वार्षिक सत्र 28 मई को समाप्त होगा और ऐसी उम्मीद है कि इससे पहले ही कानून को लेकर एनपीसी में मतदान होगा। यह प्रस्ताव पारित होने के बाद कानून का रूप ले लेगा और जून के अंत तक हांगकांग में इसे लागू कर दिया जाएगा।
इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, “ हमने हांगकांग के आंतरिक मामलों में बढ़ते हुए विदेशी हस्तक्षेप को देखा है। जिसके कारण हांगकांग की सुरक्षा और समृद्धि के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इससे एक देश और दो प्रणाली के सिद्धांत को लागू करने में भी मुश्किल होगी। ऐसी परिस्थितियों में, हांगकांग की राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक कानूनी प्रणाली तैयार करना प्राथमिकता बन गया है। हमें इस मुद्दे को बिना किसी देरी के जल्द से जल्द सुलझाना होगा।”
नये राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की घोषणा के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कड़ी आलोचना हो रही है।
रवि जितेन्द्र वार्ता