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हरियाणा. चुनाव-रात्रि लीड परिणाम दो अंतिम चंडीगढ़

चुनाव परिणामों पर गौर करें तो इनमें कांग्रेस ने अप्रत्याशित रूप से राज्य की राजनीति में वापसी की है। उसे 14 सीटों का फायदा हुआ है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं तथा बाद में हरियााणा जनहित कांग्रेस (हजकां) का बाद में इसमें विलय हो जाने पर इसके दो और विधायकों के साथ विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या बढ़ कर 17 हो गई थी। वर्ष 2014 के लाेकसभा और विधानसभा चुनावों तथा 2019 के लोकसभा चुनावाें में पार्टी की बुरी तरह से फजीहत होने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व में हाल ही में परिवर्तन कर अशोक तंवर की जगह कमान राज्यसभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के हाथाें में दी थी। तंवर ने इस पर तथा पार्टी टिकटों के वितरण में उनकी उपेक्षा के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने राज्य में पार्टी विधायक दल के नेता को भी बदलते हुये किरण चौधरी की जगह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को यह जिम्मेदारी सौंपी। पार्टी हाईकमान के इन फैसलों का असर विधानसभा चुनाव की मतगणना के रूझानों में साफ देखा गया है। हालांकि गांधी परिवार ने इस चुनाव में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई और इनमें से केवल राहुल गांधी ने ही कुछेक जनसभाओं को सम्बोधित किया। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा इस चुनाव से दूर रहीं। सोनिया गांधी का हरियाणा के लिये केवल एक ही दौरा तय किया गया था लेकिन वह भी अंतिम समय में रद्द कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार श्रीमती गांधी ने श्री हुड्डा को राज्य में सरकार बनाने को लेकर स्वयं फैसला लेने के लिये अधिकृत कर दिया है। श्री हुड्डा ने अपने रोहतक चुनाव कार्यालय में मीडिया को सम्बोधित करते हुये सभी विपक्षी दलों और निर्दलीयों से मिलजुल कर राज्य में मतबूत सरकार बनाने तथा जनता की समस्याओं के लिये काम करने की अपील की है। उन्होंने सरकार में सभी ऐसे दलों और अन्य विधायकों को पूरा मान, सम्मान और स्थान देने का भी भरोसा दिया। इस बीच हाईकमान ने पार्टी के जीत रहे सभी विधायकों को सम्भवत: टूट की आशंका के मद्देनजर दिल्ली बुलाया लिया है। कांग्रेस नेता भी राज्य में सरकार के गठन के लिये जजपा के साथ सम्पर्क साध रहे हैं।
जजपा ने राज्य में तीसरे बड़े राजनीतिक दल के रूप में दस्तक दी है और अब किंगमेकर बनाने और सत्ता की चाबी उसके हाथ में है। रूझानों को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये श्री चौटाला ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि पार्टी की 25 अक्तूबर को अपराहन दो बजे कार्यकारिणी बैठक होगी तथा इसमें ही आगे की रणनीति को लेकर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें बच्चों की पार्टी बताते थे उन्हें चुनाव परिणामों से सबक मिल गया होगा।
इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को हुआ है जो केवल एक ही सीट जीत सकी है। इनेलो को वर्ष 2014 के चुनावों में 19 सीटें मिली थीं और मुख्य विपक्षी दल होने के नाते इसके वरिष्ठ नेता अभय चौटाला को विपक्ष के नेता का दर्जा मिला था। लेकिन निवर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने तक यह पार्टी दोफाड़ हो गई और जजपा का जन्म हुआ। इनेलो में बिखराव के चलते इसके अधिकतर विधायक और नेता चुनावों से पहले ही इसे अदविदा कह कर भाजपा, कांग्रेस और जजपा का दामन चुके थे।
भाजपा ने इस चुनाव में 75 सीट पार का नारा दिया था जो बुरी तरह से पिट गया है। विधानसभा चुनावों परिणामों से जनता के सत्ता विरोधी रूख भी सामने आया साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तिलिस्म भी टूट गया और उनके द्वारा उठाये गये अनुच्छेद 370 और पाकिस्तान जा रहा नदियों का पानी रोकने जैसे राष्ट्रीय मुद्दे नहीं चले। पार्टी अभी भी साधारण बहुमत के 46 सीटों के आंकड़े से छह सीट पीछे है। निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के 47 विधायक हैं और इसे सात सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। भाजपा ने हाल ही में राज्य में हुये लोकसभा चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज करते हुये सभी दस सीटों पर कब्जा कर लिया था। राज्य में प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सरीखे नेताओं ने विधानसभा चुनावों में प्रचार किया। इस बीच, पार्टी हाईकमान ने चुनाव परिणाम देखते श्री खट्टर से आगे की रणनीति की चर्चा की है। सम्भावना है कि वह कल राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं।
राज्य में गत 21 अक्तूबर को चुनाव हुये थे तथा इनमें 68.31 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। चुनाव मैदान में 1169 उम्मीदवार थे।
रमेश2230वार्ता
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