नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (वार्ता) श्रीनू बुगाथा और लोगानथान सूरिया ने रविवार को दिल्ली हाफ मैराथन में भारतीयों में क्रमशः पुरुष और महिला विजेता होने का गौरव हासिल किया। भारतीय पुरुष और महिला विजेता को साढ़े तीन-तीन लाख रुपये की पुरस्कार राशि मिली।
बुगाथा ने इस साल के अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखते हुए मुंबई हाफ मैराथन के साथ दिल्ली हाफ मैराथन के खिताब को भी जोड़ लिया।उन्होंने 64.33 मिनट का समय लेकर भारतीयों में पुरुष खिताब जीत लिया। तीन बार विजेता रह चुके सुरेश पटेल ने 64.57 मिनट के साथ दूसरा और हाफ मैराथन में पदार्पण कर रहे हर्षद महात्रे ने 65.12 मिनट के साथ तीसरा स्थान हासिल किया।
महिला वर्ग में कोर्स रिकॉर्डधारी सूरिया (1:12:49) ने पहला, पारुल चौधरी (1:13:55) ने दूसरा और चिंता यादव (1:15:28) ने तीसरा स्थान हासिल किया। चिंता यादव ने अपने समय में छह मिनट का सुधार किया।
श्रीनू ने रेस के बाद कहा, “मैंने अपने पिछले समय को पीछे छोड़ने के लिए काफी मेहनत की लेकिन दुर्भाग्य से मैं नाकाम रहा। मैंने हालांकि बाकी रेसरों को पीछे छोड़ा और शुरुआती लीड ले ली थी लेकिन अपना समय नहीं सुधार सका। पूरे रेस के दौरान कोई मेरे साथ नहीं दिखा।”
तीन बार के चैम्पियन सुरेश पटेल ने कहा कि वह अपनी रणनीति को सही तरीके से लागू नहीं कर सके। सुरेश ने कहा, “शुरुआत में मैंने यह फैसला किया था कि मैं लीडर्स से पीछे रहूंगा। मैंने सोचा था कि अंतिम 10 किलोमीटर में मै सबसे आगे निकल जाउंगा लेकिन यह हो नहीं सका।”
हर्षद ने कहा, “मैंने महसूस किया कि मैं बीते दो साल से ही मैराथन धावक के तौर अभ्यास कर रहा हूं लेकिन इससे पहले मैंने शार्ट डिस्टेंस में किया है। मैं श्रीनू के साथ 15-16 किलोमीटर तक दौड़ा था। उन्होंने कहा था कि मैं कोर्स रिकार्ड तोड़ सकता हूं लेकिन इसके बाद मैंने फैसला किया कि अपनी ऊर्जा बचाने के लिए मुझे पीछे हो लेना चाहिए क्योंकि यह मेरा पहला हाफ मैराथन था।”
सूरिया ने कहा कि उन्होंने पारुल के साथ दौड़ने का लुत्फ लिया। सूरिया ने कहा, “इस साल मुझे यहां दौड़ते हुए अच्छा महसूस हुआ। मैं रेस में अधिकांश समय तक पारुल के साथ दौड़ी। अच्छा लगा कि हम दोनो ने इस मैराथन में एक दूसरे साथ प्रतिस्पर्धा की।”
पारुल ने कहा कि एडीएचएम के लिए अच्छी तरह तैयारी नहीं कर पाई थीं और इसी कारण उन्होंने सूरिया के साथ अधिक से अधिक दूरी तक दौड़ने का फैसला किया था। बकौल पारुल, “मैं इस इवेंट में अपना श्रेष्ठ समय निकालना चाहती थी और मैं जानती थी कि मैं जितनी दूरी तरह सूरिया के साथ दौड़ूंगी, मेरी समय उतना ही बेहतर होगा।”
चिंता यादव ने बीते साल की तुलना में अपने समय में छह मिनट का सुधार किया। चिंता ने कहा, “मैं बीते साल और इस साल इस इवेंट के लिए अच्छी तरह तैयारी नहीं कर पाई थी। हालांकि मैंने इस मैराथन में अपना समय बेहतर करने का मन बनाया था और इसी कारण मेरा समय बेहतर हुआ।”
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