खेलPosted at: May 26 2023 5:38PM मेडल जीतने के बाद आलाेचकों को खुद ही मिल गया जवाब: मानिनी
गौतम बुद्ध नगर 26 मई (वार्ता) खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश में प्रतिभागी शूटर के तौर पर हिस्सा ले रहीं मानिनी कौशिक का मानना है कि समाज पढ़ा लिखा समाज हो या कम पढा लिखा, मगर सभी जगह लड़कियों को लेकर कमोबेश एक जैसी ही सोच है और यही कारण है कि लड़कियों को खुद को साबित करने की चुनौती लड़कों की तुलना में अधिक होती है।
मानिनी ने शुक्रवार को कहा “ मेरे पिता जी जज है और हम लोग उनके साथ 2012 में जम्मू कश्मीर गए थे। वहां पर हम लोगों का बीएसएफ कैम्प जाना हुआ था और वहीं पर पहली बार हमने राइफल पकड़ी थी। वहां से लौटने के साथ मेरे जेहन में राइफल पकड़ने और चलाने की इच्छा जगी थी। फिर 2014 में मेरी जर्नी शुरू हुई और आज मेरी झोली में कई मेडल है। ”
उन्होने कहा “ लड़की होने का दंश मेरे परिवार वालो को भी झेलना पड़ा। मेरे खेल को लेकर मेरे पिता जी को लोग कहते थे कि इसपर इतना खच क्यूं करना है। पढ़ा लिखा कर शादी कर दीजिए। ऐसा ही मेरी नानी के साथ भी हुआ था।” मानिनी के अनुसार उनकी नानी एनसीसी में थी और बहुत अच्छी शूटर थी। उनका चयन आर्मी में हो गया था लेकिन पारिवारिक वजहों से उन्होंने आर्मी को ज्वाइन नही किया। उन्होने कहा “ मेरी नानी अभी है और मेरा सपोर्ट करती है। लेकिन जिस तरह से मेरे लड़की होने की वजह से जैसी धारणा रखते थे वह 2016 में पहला वर्ल्ड कप खेलने के बाद और मेडल जीतने के बाद उन लोगों को जबाब मिल गया कि लड़कियां भी बहुत कुछ कर सकती है।”
मानिनी खेलो इंडिया के आयोजकों द्वारा किये गए इंतजाम से काफी संतुष्ट हैं और उन्हें लगता है कि खेलो इंडिया युवा खिलाड़ियों को जो मंच प्रदान कर रहा है उससे स्पोर्ट्स के फील्ड में बड़ी संख्या में युवा आएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे आयोजन और करने चाहिए जिससे कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मौका मिले।
प्रदीप
वार्ता