जयपुर, 01 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य की 193 नगरनिगम, नगरपालिकाओं के मेयर और सभापति के पदो के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को कुछ क्षेत्रों में ही सीमित करके चुनाव करवाए जाने की प्रक्रिया की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।
अनुसूचित जाति के सदस्य योगेन्द्र कुमार और बारां नगर परिषद के निवर्तमान सभापति कमल राठौर ने नगरपालिका अधिनियम और चुनाव नियमों को उच्च न्यायालय की खंडपीठ में चुनौती देते हुए दायर याचिका में कहा है कि गत 40 वर्षों में हुए चुनावों में एससी और एसटी के आरक्षण को उनकी जनसंख्या के आरोही क्रम में एक से शुरू कर 193 क्रम तक की सभी नगरनिगमों में एक बार एसी एवं एस टी के लिए मेयर या सभापति के पद आरक्षित होने चाहिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने कहा है कि राजस्थान में भी ऐसा ही प्रावधान किया तो गया, लेकिन राजनीतिक लालच में चुनिंदा सीटों को ही हर पांच वर्ष बाद एस सी, एसटी से आरक्षित किया जा रहा है जबकि उनको राज्य की हर नगरपालिका, परिषद या कौंसिल में मेयर या सभापति का पद एक बार आरोही क्रम में मिलना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश इंदरजीत मोहंती और न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य के महाधिवक्ता और मुख्य चुनाव आयुक्त को एक सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये।
पारीक सुनील
वार्ता