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भारतीय बच्चों को अब विदेशी कोच देंगे फुटबॉल की ट्रेनिंग, यंग ब्वायज एफसी और बीयूएफसी उत्तराखंड ने विदेशी क्लबों से किया समझौता

भारतीय बच्चों को अब विदेशी कोच देंगे फुटबॉल की ट्रेनिंग, यंग ब्वायज  एफसी और बीयूएफसी उत्तराखंड ने विदेशी क्लबों से किया समझौता

नयी दिल्ली,01 अप्रैल (वार्ता) भारतीय फुटबॉल की दशा और दिशा सुधारने के लिए वैसे तो कई सारे फुटबॉल क्लब दावा करते हैं, लेकिन ग्रासरूट लेवल पर कुछ ही काम कर रहे है। ऐसे ही फुटबॉल क्लब है यंग ब्वायज एफसी और बीयूएफसी उत्तराखंड जिन्होंने पहली बार एलीट अकादमी की स्थापना की है। ये एलीट अकादमी विदेशी कोचों के सहयोग से बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कोचिंग देगी और भारतीय फुटबॉल में एक नए मानक स्थापित करने का प्रयास करेगी।

यंग ब्वायज एफसी और बीयूएफसी उत्तराखंड ने इसके लिए यूरोपियन और नार्थ अमेरिकी क्लबों के साथ करार किया है जिसके तहत कई विदेशी कोच भारत आकर बच्चों को ट्रेनिंग देंगे। अभी भारत में मेक्सिको के फुटबॉल कोच डेविड फर्नांडिस तक़रीबन दो हफ़्तों तक बच्चों को कोचिंग देंगे। शुक्रवार से दिल्ली के डॉ अम्बेडकर स्टेडियम में इसकी शुरुआत होगी जिसमें तक़रीबन 300 से ज्यादा बच्चों के भाग लेने की संभावना है। आयोजकों ने कहा कि इस ट्रेनिंग में कोरोना की सभी गाइडलाइन्स का पालन किया जाएगा।

भारतीय फुटबॉल की दशा के बारे में बात करते हुए अन्तरराष्ट्रीय फुटबॉल कोच और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर बीरूमल ने कहा कि, “भारत में टैलेंट की कमी नहीं है, लेकिन जरुरत है उस टैलेंट को निखारने की। भारतीय खिलाडियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए जिस तरह की ट्रेनिंग की जरुरत होती है वह अभी नहीं दी जा रही है। हम दुनिया से अभी भी बहुत पीछे चल रहे हैं।”

डॉ बीरूमल ने कहा, “तक़रीबन सभी यूरोपियन देशों में ट्रेनिंग पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कोचों की जिम्मेदारी होती है कि वह बच्चों को कैसी ट्रेनिंग दें, लेकिन भारत में कोचों के पास ट्रेनिंग देने के अलावा सभी काम है, इसीलिए हम विवाद में रहे हैं। यहाँ के कोचों को पता ही नहीं रहता है कि बच्चों को किस तरह की जरुरत है। नतीजा अच्छे पोटेंशियल वाले बच्चे भी कुछ दिनों के बाद ख़राब खेलने लगते हैं।”

मेक्सिको के फुटबॉल कोच डेविड फर्नांडिस ने डॉक्टर बीरूमल की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि, यहाँ के बच्चों में मोबिलिटी पर ध्यान देने की जरुरत है। कोचिंग में इस पर बहुत कम काम किया जाता है। उन्होंने कहा कि वह सबसे पहले बच्चों में मोबिलिटी पर ध्यान देंगे। उसके बाद फुटबॉल की बेसिक स्किल्स सिखाने का काम करेंगे। उन्होंने भारत में फुटबॉल कल्चर बढाने पर जोर देने की बात कही।

भारत में महिलाओं का फुटबॉल में कम लगाव की बात करते हुए दिल्ली फुटबॉल की एकमात्र महिला पदाधिकारी शिप्रा ने कहा , “एक तो फुटबॉल खेल ही अब कम खेला जाने लगा है उसपर लड़कियों का इसमें भाग लेना बहुत कम हो गया है। इसका कारण लड़कियों के माता पिता बहुत ज्यादा डरे हुए रहते हैं कि बाहर कैसा माहौल होगा। अकादमी में किस तरह के लोग होंगे। भारत में लड़कियों के साथ ये बहुत बड़ी समस्या है। इसे दूर करना होगा तभी लड़कियां फुटबॉल खेल सकेंगी। अभी धीरे धीरे लोग जागरूक हो रहे हैं, और यही कारण है कि इस बार दिल्ली लीग में कई टीमे खेल रही है।”

राज

वार्ता

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