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बेगुनाहों की हत्या करने वालों के मानवाधिकार की बात अनुचित: नकवी

बेगुनाहों की हत्या करने वालों के मानवाधिकार की बात अनुचित: नकवी

नयी दिल्ली 10 दिसम्बर (वार्ता) केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि लोगों में भय पैदा करने तथा निर्दोष लोगों की हत्या करने वाले आतंकवादियों के मानवाधिकारों की वकालत करना उचित नहीं है।

श्री नकवी ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा आयोजित मानव अधिकार दिवस कार्यक्रम में कहा कि यह दुख की बात है कि कुछ संगठन और लोग आतंकवादियों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देने वाले संगठनों के कार्यकर्ताओं के लिए आवाज उठाते हैं। आतंकवादी संगठन आम नागरिकों की हत्या , आतंक फैलाने और दुनिया की शांति-सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की साजिशों को मानवाधिकार समझ बैठे हैं।

उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य प्रजातान्त्रिक देशों के मुकाबले भारत में सामाजिक-आर्थिक-धार्मिक अधिकारों के साथ साथ मानवाधिकार कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं। सहिष्णुता, सौहार्द भारत के ‘डीएनए’ में है। सामाजिक-सांस्कृतिक सौहार्द के कारण ही भारत विभिन्न भाषाओँ, धर्मों, सम्प्रदायों के बावजूद एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। हमारी इस एकता की ताकत को कोई भी शैतानी ताकत कमजोर ना करने पाए इसके लिए हमें सचेत-सावधान रहना होगा।

श्री नकवी ने कहा कि ‘समावेशी विकास’ हमारी राष्ट्रनीति है और ‘सबका सशक्तिकरण’ हमारा राष्ट्रधर्म है। हम पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों के दौरान समाज के सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के विकास और विश्वास का हिस्सा बनाने में कामयाब हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने तुष्टिकरण के बिना “सम्मान के साथ सशक्तिकरण’ की नीति पर चलकर समाज के हर जरूरतमंद तबके को विकास का बराबर का ‘हिस्सेदार-भागीदार’ बनाया है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पिछले 25 वर्षों में मानव अधिकारों की सुरक्षा के संबंध में सराहनीय भूमिका निभाई है। आयोग ने जन-जन में अपने लिए एक अटूट विश्वास की स्थापना की है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को ए दर्जा दिया जाना इस बात का प्रमाण है। सरकारों को मानवाधिकारों के बारे में सचेत करने और सलाह देने में भी आयोग की प्रशंसनीय भूमिका रही है।

आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एल एल दत्तू ने कहा कि देश का गतिशील लोकतंत्र संविधान में निहित सिद्धांतों , अधिकारों और कर्तव्य निर्वहन की भावना पर आधारित है। मानवाधिकारों की रक्षा के मामले में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि आयोग मानवाधिकारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र के मानदंडों का पूरी तरह से पालन करता है। न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि मानवाधिकार दिवस मानवाधिकारों के प्रति आयोग की वचनबद्धता को दोहराता है।

संजीव आशा

वार्ता

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