राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Dec 29 2019 2:21PM साल भर रिश्तों में धूप-छांव देखने वाले भाजपा-जदयू की झारखंड ने अंत में खोली आंखें
(.शिवाजी से)
पटना 29 दिसंबर (वार्ता) बिहार की राजनीति में बीत रहे वर्ष 2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रमुख घटक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के रिश्तों में कई बार ‘धूप-छांव’ और ‘संशय के बादल’ दिखे लेकिन साल के अंत में पड़ोसी राज्य झारखंड के विधानसभा चुनाव परिणाम ने दोनों को ‘दिन में तारे’ भी दिखा दिये, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की अगुवाई वाला महागठबंधन ‘उम्मीद की किरण’ नजर आने से नये जोश से भर गया है।
बिहार में मिलकर सरकार चलाने के बावजूद भाजपा और जदयू के रिश्तों पर वर्ष 2019 में संशय के बादल छाये रहे। इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पूर्व सीटों के बंटवारे के समय भी उनके रिश्तों को लेकर कयासों का दौर चला। हालांकि अंत में भाजपा-जदयू के बीच 17-17 सीटों तथा सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को छह सीटें देकर राजग में सम्मानजनक समझौता हो गया। इसका नतीजा रहा कि राजग ने 40 में से 39 सीटें जीत ली। इसके बाद जब केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनी तब जदयू संख्या बल के अनुपात में मंत्रिमंडल में जगह चाहता था लेकिन भाजपा ने जदयू को सांकेतिक प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव देते हुए उसके एक सांसद को मंत्रिमंडल में स्थान देने की बात कही। इसे जदयू ने अस्वीकार कर दिया।
भाजपा से रिश्तों में आई खटास जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस तल्ख बयान में स्पष्ट नजर आ गया, जब उन्होंने कहा कि अब उनकी पार्टी भविष्य में भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन में आरंभ में जो बातें होती हैं, वही आखिरी होती है। मंत्रिपरिषद में आनुपातिक या सांकेतिक रूप से घटक दलों की भागीदारी का निर्णय भाजपा को करना था।
शिवा सूरज
जारी वार्ता