..जन्मदिवस 3 सितंबर के अवसर पर ..
मुंबई 02 सितंबर (वार्ता) संगीतकार प्यारेलाल का जीवन के प्रति फलसफा उनके संगीतबद्ध गीत की इन पंक्तियों में समाया हुआ है
..आदमी मुसाफिर है आता है जाता है
आते जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है ..
संगीतकार प्यारेलाल शर्मा का जन्म 3 सितंबर 1940 को हुआ था। बचपन के दिनो से ही उनका रूझान संगीत की ओर था और वह संगीतकार बनना चाहते थे ।उन्होंने संगीत की अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित रामप्रसाद शर्मा से हासिल की । इसके बाद वह गोवा आ गये और ऐंथोनी गोंजालविस से वायलिन सीखने लगे । इस दौरान घर की आर्थिक मदद करने के लिये वह रणजीत स्टूडियों में वायलिन बजाने लगे ।एक बार प्यारेलाल को लता मंगेशकर के संगीत कार्यक्रम
में हिस्सा लेने का मौका मिला ।उस कार्यक्रम में संगीतकार लक्ष्मीकांत को मेडोलियन बजाने का मौका मिला था ।
लता मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल की प्रतिभा को पहचाना और संगीतकार शंकर जयकिशन एस.डी.बर्मन और सी.रामचंद्र को सहायक के लिए लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल के नाम सुझाये।बाद में लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल ने अपनी जोड़ी बनाकर सिने करियर की शुरूआत संगीतकार कल्याणजी.आनंद जी के सहायक के तौर पर की। सहायक के तौर पर उन्होंने मदारी.सट्टा बाजार. छलिया और दिल भी तेरा हम भी तेरे जैसी कई फिल्मों में काम किया।इस बीच उनकी मुलाकात भोजपुरी फिल्मों के निर्माता के.परवेज से हुयी जिन्होंने लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल को चार फिल्मों में संगीत देने का प्रस्ताव दिया लेकिन दुर्भाग्य से इनमें से किसी भी फिल्म में उन्हें संगीत देने का मौका नहीं मिल पाया।
लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल की किस्मत का सितारा निर्माता..निर्देशक बाबू भाई मिस्त्री की क्लासिक फिल्म ..पारसमणि.. से चमका। बेहतरीन गीत.संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने लक्ष्मीकांत..प्यारे लाल को बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। कहा जाता है फिल्म पारसमणि में लता मंगेशकर से गवाने के लिये
लक्ष्मीकांत..प्यारे लाल ने अपनी जेब से कुछ पैसे भी दिये थे।फिल्म पारसमणि की सफलता के बाद लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल ने फिर कभी पीछे मुड़कर नही देखा और एक से बढ़कर एक संगीत देकर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
लक्ष्मीकां..प्यारे लाल के सिने करियर की अहम फिल्मों में से एक है वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म..अमर अकबर एंथनी.. यूं तो इस फिल्म के सभी गाने सुपरहिट हुये लेकिन यह गीत ..हमको तुमसे हो गया है प्यार ..गीत संगीत जगत की अमूल्य धरोहर के रूप में आज भी याद किया जाता है। इस गीत में पहली बार और अंतिम बार लता मंगेशकर मोहम्मद रफी .मुकेश और किशोर कुमार जैसे नामचीन पार्श्वगायकों ने अपनी आवाज दी थी। इन सबके साथ ही ..माई नेम इज एंथनी गोंजालविस ..के जरिये प्यारे लाल ने अपने संगीत शिक्षक एंथोनी गोंजालविस को श्रंद्धाजलि दी है।
लक्ष्मीकांत..प्यारे लाल के पसंदीदा पार्श्वगायक के रूप मे मोहम्मद रफी का नाम सबसे पहले आता है।वर्ष 1963 मे प्रदर्शित फिल्म..पारसमणि..इस जोड़ी की पहली हिट फिल्म थी।इस कामयाबी के पश्चात रफी और लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल की जोड़ी ने अपने गीत..संगीत से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म ..क्रोध ..में अपने संगीतबद्ध गीत ..ना फनकार तुझसा तेरे बाद आया मोहम्मद रफी तू बड़ा याद आया ..के जरिये लक्ष्मीकांत.. प्यारे लाल ने मोहम्मद रफी को अपनी श्रद्धांजलि दी है।
लक्ष्मीकांत..प्यारेलाल को सात बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।वर्ष 1998 में लक्ष्मीकांत की मृत्यु के बाद प्यारेलाल को गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने फिल्मों में संगीत देना बंद कर दिया । संगीतकार प्यारेलाल इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय नही है ।
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