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नरेंद्र मोदी ने सात साल में कृषि बजट में की छह गुना वृद्धि : सुशील

नरेंद्र मोदी ने सात साल में कृषि बजट में की छह गुना वृद्धि : सुशील

पटना 22 सितंबर (वार्ता) बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों और जवानों के प्रति समर्पित है और उसने सात साल में कृषि बजट में छह गुना वृद्धि की, वहीं जवानों की 45 साल पुरानी 'वन रैंक, वन पेंशन' मांग पूरी कर एक साल में इस पर हुआ 1.33 हजार करोड़ रुपये खर्च किये ।

श्री मोदी ने बुधवार को बिहार प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा की ओर से विद्यापति भवन में 'सेवा-समर्पण अभियान' के तहत आयोजित 'किसान-जवान सम्मान समारोह' को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2013-14 में जहां देश का कृषि बजट मात्र 22 हजार करोड़ रुपये का था, उसे सात साल में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने करीब छह गुना बढ़ा कर इस साल 1.34 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसी तरह जवानों की 45 वर्षों से की जा रही 'वन रैंक, वन पेंशन' की मांग को भी मोदी सरकार ने ही पांच साल पहले पूरा किया, जिसपर पिछले साल एक लाख 33 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

भाजपा सांसद ने बिहार के किसानों को धन्यवाद देते हुए कहा कि किसानों के हित में केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए अनेक कदमों का ही नतीजा है कि वे कृषि कानून के मुद्दे पर राजद, कांग्रेस के बहकावे में नहीं आए और उनकी ओर से आयोजित धरना - प्रदर्शन को नकार दिया। इस माह आयोजित उनके भारत बंद को भी यहां के किसान एक बार फिर विफल कर देंगे। उन्होंने कहा कि बिहार की तरह ही देश के अधिकांश राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र के किसान भी अबतक विपक्ष के झांसे में नहीं आए हैं।

श्री मोदी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने की विपक्ष की अफवाह भी बेबुनियाद साबित हुई है क्योंकि जहां गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले सात साल में प्रति क्विंटल 600 रुपए की वृद्धि हुई है वहीं इस साल एमएसपी पर रिकार्ड 82 हजार करोड़ मूल्य के गेहूं की खरीददारी की गई है, जिनमें 60 प्रतिशत गेहूं कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे पंजाब, हरियाणा और पश्चमी उत्तरप्रदेश के किसानों ने ही बेचा है।

भाजपा सांसद ने कहा कि केंद्र सरकार खाद्य तेल के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले 5 साल में 11 हजार करोड़ रु. खर्च करने जा रही है। इसके तहत बिहार में 1.10 लाख हेक्टेयर में पाम की खेती की जाएगी क्योंकि खाद्य तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को प्रतिवर्ष 60 प्रतिशत पाम ऑयल का आयात करना पड़ता है।

शिवा सूरज

वार्ता

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