नयी दिल्ली, 23 जुलाई (वार्ता) अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और कोच तैयार करने तथा खेल विज्ञान के क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकसित करने के उद्देश्य से मणिपुर में देश के पहले राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लोकसभा में सोमवार को विधेयक पेश किया गया।
केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने सदन में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक, 2018 पेश किया। यह विधेयक इस संबंध में 31 मई 2018 को पारित अध्यादेश की जगह लेगा। इससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय विधेयक, 2017 वापस लिया जिसे पिछले साल अगस्त में पेश किया गया था। बीच में अध्यादेश आने के कारण पुराना विधेयक वापस लेना पड़ा।
विश्वविद्यालय के निर्माण पर 524 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर मणिपुर में होगा और देश में तथा विदेशों में कई स्थानों पर इसकी शाखाएँ खोली जा सकेंगी।
नये विश्वविद्यालय में खेल विज्ञान, खेल प्रौद्योगिकी, खेल प्रबंधन, खेल औषधि तथा उच्च स्तर के प्रशिक्षण पर फोकस होगा। साथ ही खलों के विभिन्न क्षेत्रों में स्नातक तथा स्नातकोत्तर डिग्री भी दी जायेगी। यहां अनुसंधान एवं प्रशिक्षण की भी सुविधा होगी। इसमें एडवेंचर और दिव्यांग खेलों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होगी।
अभी देश में खेलों के प्रशिक्षण के संबंध में सिर्फ दो संस्थान हैं। मध्य प्रदेश का ग्वालियर स्थित समकक्ष विश्वविद्यालय लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान सिर्फ शारीरिक प्रशिक्षण में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री देता है जबकि पटियाला स्थित नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान सिर्फ एथलीटों और कोचों के प्रशिक्षण का काम करता है।
विश्वविद्यालय के सभी परिसरों में एथलीट, खिलाड़ी, कोच, अंपायर और रेफरी तैयार करने पर फोकस होगा। विश्व स्तरीय पाठ्यक्रम, अनुसंधान सुविधाएं तथा प्रयोगशालाएं तैयार करने के लिए सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा विश्वविद्यालय और विक्टोरिया विश्वविद्यालय के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं।