पटना 23 मार्च (वार्ता) बिहार में सतरहवें लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के बीच तालमेल के तहत सीटों के फेरबदल के बाद शुरू हुये अंतर्विरोध से राजग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बिहार राजग में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए घटक भाजपा के 17 सीट, जदयू के 17 सीट और लोजपा के छह सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी। इसके बाद पिछले सप्ताह सीटों की हुई घोषणा में एक बड़ा फेरबदल देखने को मिला। भाजपा ने अपनी मजबूत सीटें गया (सुरक्षित), सीवान, भागलपुर और बांका जदयू को तथा नवादा लोजपा को दे दी। इसके बाद भाजपा में नेता, कार्यकर्ता एवं उसके कट्टर समर्थकों के स्तर पर विरोध दिखने लगे हैं।
नवादा सीट से 2014 में निवर्तमान सांसद एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जीत दर्ज की। लेकिन, वर्ष 2019 के चुनाव में यह सीट केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के खाते में चली गई। अब श्री सिंह के बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अटकले हैं। हालांकि राजग के इस निर्णय से श्री सिंह खासे नाराज चल रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि यदि उन्हें नवादा से लड़ने का मौका नहीं दिया गया तो इस बार चुनाव ही नहीं लड़ेंगे। उन्होंने सीटों के फेरबदल को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय पर आपत्ति जताते हुये कहा था, “मैंने उनके सामने पहले कई बार नवादा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी और उन्होंने मुझे आश्वस्त भी किया था लेकिन अब के परिदृश्य में मुझे उनसे पूछना है कि उनके आश्वासनों का क्या हुआ।”
इतना ही नहीं शीर्ष नेतृत्व के फैसले से नवादा में भाजपा के नेता, कार्यकर्ता एवं कट्टर समर्थकों में भी खासी नाराजगी है। सूत्रों की मानें तो भाजपा चिकित्सा मंच के प्रदेश सहसंयोजक डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष केदार सिंह एवं जिला महामंत्री अरविंद गुप्ता ने पार्टी के इस फैसले को आत्मघाती कदम बताया है। इसके अलावा प्रखंड स्तर के कार्यकर्ताओं में काफी रोष है।
सूरज शिवा
जारी वार्ता