रांची, 07 सितंबर (वार्ता) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नई शिक्षा नीति के दूरगामी प्रभाव को रेखांकित करते हुए सोमवार को कहा कि नई शिक्षा नीति निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा दे रही है, जिससे अवसर की समानता के मौलिक अधिकार पर आघात होगा।
श्री सोरेन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल एवं उप राज्यपाल और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ उच्चतर शिक्षा के रूपांतरण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 की भूमिका पर आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी के बाद यह सिर्फ तीसरा मौक़ा है जब शिक्षा नीति पर चर्चा हो रही है। इस पहल के लिए केंद्र सरकार बधाई की पात्र है। उन्होंने कहा कि भारत एक विविधता से भरा देश है, यहां विभिन्न राज्यों की जरूरतें अलग-अलग हैं और जैसा कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, इसे बनाने में सभी राज्यों के साथ खुले मन से चर्चा होनी चाहिए थी ताकि कोई राज्य इसे अपने ऊपर थोपा हुआ नहीं माने।
मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति को बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और परामर्श के अभाव बताया और कहा कि आज जब नीति बनकर तैयार हो गयी है तब केंद्र सरकार राज्यों के साथ इस पर चर्चा कर रही है। अच्छा होता कि इस पर पहले बात होती और सभी राज्य सक्रिय रूप से इसे बनाने में अपनी भागीदारी निभाते ।
सतीश सूरज
जारी वार्ता