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अब तर्पण एवं श्राद्ध की बारीकियां बताएगा संस्कृत विश्वविद्यालय

दरभंगा, 30 अगस्त (वार्ता) कम्प्यूटर एवं मोबाईल फोन को खोलकर एक क्लिक कीजिए और चले जाइये कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर जहां आपको वैदिक विधि-विधान से तर्पण एवं पार्वण श्राद्ध करने के सभी तौर-तरीकों की जानकारी मिल जाएगी।
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शुमार कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारतीय संस्कृति की संरक्षा एवं यहां की अलौकिक सभ्यता के संवर्धन के साथ-साथ पितरों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए तर्पण एवं पार्वण श्राद्ध (बरसी) करने के शास्त्रीय स्वरूप को आमजनों के बीच सरल बनाने व समझाने का एक वृहत फैसला लिया है।
विश्वविद्यालय मुख्यालय के दरबार हॉल में आठ एवं नौ सितम्बर को दो दिवसीय एक नायाब कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इस मौके पर विद्वानों द्वारा यह बताने का भरपूर प्रयास किया जाएगा कि तर्पण एवं पार्वण कैसे किया जाय यानी किस किस विधि से यह श्राद्ध कर्म करना श्रेष्ठकर होगा। इस बात पर विशेष जोर होगा कि श्राद्ध कर्म क्यों जरूरी है और आखिर पितरों की याद में इस कर्म के जरिये उन्हें कैसे श्रद्धांजलि दी जाय।
विश्वविद्यालय के जन सम्पर्क पदाधिकारी निशिकांत ने बताया कि 14 सितम्बर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है जो 28 तक रहेगा। इस तिथि के दौरान ही अमूमन सभी पितरों का तर्पण एवं पार्वण श्राद्ध कर्म अर्पित करते हैं लेकिन शास्त्रीय अनभिज्ञता एवम कर्मकांड के असली जानकारों का अभाव इस पुनीत कार्य में बहुत बड़ा बाधक बन गया है। इसी समस्या को देखते हुए शास्त्रीय निदान निकलने लिए विश्वविद्यालय ने दो दिवसीय सार्वजनिक कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है।
सं.सतीश सूरज
जारी वार्ता
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