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कोरोना से डटकर मुकाबला करने के संकल्प के साथ शुरू हुआ चैत्र नवरात्र

पटना 25 मार्च (वार्ता) कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने और इसका डटकर मुकाबला करने के संकल्प के साथ आज से चैत्र नवरात्र शुरू हो गया।
इस बार पूरे देश में लॉकडाउन के कारण मंदिरों में पूजा-अर्चना तो नहीं हो पाई लेकिन अन्य राज्यों की तरह बिहार के लोगों ने भी अपने-अपने घरों में रहकर ही महामारी और विपदा से बचाने तथा सुख-समृद्धि एवं शांति प्रदान करने के लिए नवदुर्गा का आह्वान कर पूर्चा-अर्चना की। साथ ही उनसे संकट के दौर से गुजर रहे संपूर्ण विश्व के मंगल की कामना की।
लॉकडाउन की वजह से राजधानी पटना के पटना सिटी स्थित बड़ी पटनदेवी मंदिर के साथ ही राज्य के सभी बड़े और छोटे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं, जिससे इन मंदिरों में नवरात्र में भी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना नहीं की जा रही है। बताया जा रहा है कि पटनदेवी मंदिर के निर्माण के बाद यह पहली बार है जब नवरात्र में कपाट बंद कर दिये गये हैं। बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में एक बड़ी पटनदेवी मंदिर भी है। मान्यता है कि महादेव के तांडव के दौरान सती के शरीर के 51 खंड हुए। ये अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित की गई। यहां सती की दाहिनी जांघ गिरी थी।
नववर्ष के पहले दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होने वाली नवरात्रि का आगाज हो चुका है। यह दो अप्रैल रामनवमी के साथ ही संपन्न होगा। मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम ने चैत्र नवरात्र में देवी दुर्गा की उपासना के बाद रावण का वध करके विजय हासिल किया था।आज से नौ दिनों तक माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।अपने पहले स्वरूप में मां ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। ये नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं।
प्रेम सूरज
जारी वार्ता
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