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नई शिक्षा नीति झारखंड के जनजाति समुदाय के हित में : भाजपा

रांची, 08 सितंबर (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नई शिक्षा नीति को झारखंड के जनजातीय समुदाय के हित में बताया और कहा कि केन्द्र सरकार स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिये कृत संकल्पित है।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर सरकार के आदिवासी मूलवासी विरोधी चेहरे को स्पष्ट कर दिया है। मुख्यमंत्री ने स्थानीय भाषा में प्रारंभिक पढ़ाई की नीति पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की अनुपलब्धता की तथ्यहीन बात कही है।
श्री शाहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए था क्योंकि इससे राज्य में नागपुरी, संताली, मुंडारी,कुँड़ुख़,खोरठा आदि क्षेत्रीय और आदिवासी भाषाओं को प्रोत्साहन मिलता। इन भाषाओं का साहित्य भी समृद्घ है और पुस्तकें भी अच्छी संख्या में उपलब्ध है। राज्य में क्षेत्रीय और आदिवासी भाषाओं में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट करीब 17000 से अधिक युवा मौजूद हैं। इसके बावजूद हेमंत सोरेन इन भाषाओं में शिक्षकों की कमी की बात उठाकर हजारों आदिवासी मूलवासी युवाओं को नौकरी से वंचित करना चाहते है।
भाजपा नेता ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति झारखंड के जनजातीय समुदाय के हित में भी है क्योंकि अनेक बार इस समुदाय के लोग पढ़ाई को बीच में भी छोड़ देते हैं। अब वह जिस स्तर पर पढ़ाई छोड़ेंगे उसके हिसाब से उन्हें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री दिया जाएगा और वह जब भी अपनी पढ़ाई से वापस जुड़ना चाहे तो समय की पाबंदी नही रहेगी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यहां के जनजाति और मूलवासी समाज को वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं समझा।
सतीश सूरज
वार्ता
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