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भाजपा एससी, एसटी के प्रमोशन में क्रीमी लेयर के पक्ष में नहीं : सुशील

पटना 21 सितंबर (वार्ता) बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि उनकी पार्टी सरकारी नौकरी में अनुसूचित जाति (एससी) - जनजाति (एसटी) के लिए प्रोन्नति में क्रीमी लेयर को लागू किए जाने के पक्ष में नहीं है ।
श्री मोदी ने मंगलवार को बिहार विधान परिषद सभागार में पूर्व मुख्यमंत्री स्व.भोला पासवान शास्त्री की 108 वीं जयंती पर आयोजित व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेई सरकार थी तब संविधान में संशोधन कर एससी-एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया गया । उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में क्रीमी लेयर लागू करने का निर्देश दिया है, जिसका भाजपा मजबूती से विरोध कर रही है।
भाजपा सांसद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय एससी, एसटी के प्रमोशन के मामले में शीघ्र फैसला दें क्योंकि पूरे देश में प्रमोशन के हजारों मामले पिछले कई वर्षों से अटके हुए हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण विरोधी रही है। 27 जून 1961 को राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे पंडित जवाहरलाल नेहरू के पत्र से स्पष्ट है कि उनकी मानसिकता आरक्षण के पक्ष में नहीं थी क्योंकि उनका मानना था कि आरक्षण से अयोग्य एवं अक्षम लोग नौकरियों में आते हैं लेकिन आज हकीकत है कि दलितों की उपेक्षा और आरक्षण का विरोध करने की कोई भी पार्टी हिम्मत नहीं कर सकती है।
श्री मोदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जब एससी, एसटी अत्याचार अधिनियम की कुछ धाराओं को हटाया तो केंद्र की नरेंद्र मोद सरकार ने अधिनियम में संशोधन करके न केवल इसे पुनर्स्थापित किया बल्कि 11 नई धाराएं जोड़ कर उसे और अधिक कठोर भी बनाया। इतना ही नहीं विभिन्न मामलों में मुआवजे की राशि 75 हजार से 7.5 लाख तक कर दी।
भाजपा सांसद ने कहा कि संसदीय व्यवस्था और नौकरियों में आज जो आरक्षण हैं, वह गांधी और अम्बेदकर की देन है। अगर आरक्षण का प्रावधान नहीं होता तो शायद ही कोई दलित संसद और विधान सभाओं में पहुंच पाता। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए देश की 22.5 प्रतिशत एससी और एसटी आबादी की हित-रक्षा रणनीति नहीं, निष्ठा है।
शिवा सूरज
वार्ता
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