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भागलपुर : सात समंदर पार से श्रावणी मेला में शामिल होने सुल्तानगंज पहुंची शिक्षिका

भागलपुर,17 जुलाई (वार्ता) विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला की महिमा एवं भगवान शिव पर हिन्दुओं की अटूट आस्था से प्रभावित हो सात-समंदर पार इंग्लैंड की एक शिक्षिका अपने आप को रोक नहीं पाई और अपने भारतीय पति के साथ इस मेले में शामिल होने पहुंच गई।
भागलपुर के सुल्तानगंज में पूरे सावन मास तक चलने वाले श्रावणी मेला और मानव श्रृंखला के विशाल कांवर यात्रा की महिमा की चर्चा अपने कुछ भारतीय पड़ोसियों से सुनने के बाद से इंग्लैंड की शिक्षिका रेबीका के मन में श्रावणी मेला को देखने की इच्छा प्रबल हो गई और फिर भारत में बिहार के सुल्तानगंज पहुंचने के लिए इन्होंने वहां पर नौकरी कर रहे भागलपुर शहर के उत्सव कुमार से शादी रचाई। वह सावन माह के पहले से ही अपने पति को सुल्तानगंज चलने के लिए कहने लगी थी। पति को भी पत्नी के साथ अपने घर पर आकर पूजा पाठ करना था।
ऐसे में उत्सव सावन मास में इस मेले के शुरु होने के चौथे दिन लंबे समय से भगवान शिव की महिमा रुपी श्रावणी मेला को देखने की आस लगाए बैठी शिक्षिका रेबीका को लेकर सीधे सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा तट पर पहुंच गया । तट पर गेरुआ वस्त्र धारी हजारों कांवरियों के द्वारा अपने सजाए कांवर में गंगा का पवित्र जल भरकर हर ‘हर महादेव एवं बोल बम’ के जयघोष के साथ बाबा की नगरी देवघर की ओर प्रस्थान करने की भक्ति मय एवं मनोरम दृश्य को देख रेबिका भावविभोर हो उठी।
मेले में गंगा मईया एवं बाबा भोलेनाथ के प्रति असीम प्रेम व श्रद्धा को देखकर गदगद हो रेबिका ने गंगा जल लेकर स्वयं एवं पति उत्सव पर छिंटने के बाद तट को प्रणाम किया। इसके बाद दंपति देवघर की करीब एक सौ पांच किलोमीटर की लंबी कांवर यात्रा पर निकल पड़े।
वैसे तो देश के विभिन्न और पड़ोसी देशों यथा नेपाल, भूटान,माॅरीशस से बड़ी संख्या में कांवरियों का जत्था श्रावणी मेला में पहुंचता है और उनलोगो की भी श्रद्धा कम नहीं रहती है। लेकिन सात समंदर पार इस शिवभक्त शिक्षिका ने सिर्फ विशाल मानव श्रृंखला वाले श्रावणी मेले में भगवान शिव के प्रति हिन्दुओं की असीम प्रेम एवं आस्था को देखने के लिए एक भारतीय को जीवनसाथी बनाते हुए अपनी मनोकामना पूरी कर ईश्वर के प्रति पूरी आस्था जताई।
रेबिका का कहना है कि सुल्तानगंज पहुंच कर श्रावणी मेला की महिमा को देखकर मैं काफी खुश हूं। मैं भारत पहली बार आई हूं। विश्व में ऐसी मानव श्रृंखला वाला मेला कभी नहीं देखा। भारत में भगवान शिव की आराधना को पहली बार देखा। भारतीय मूल के उत्सव से शादी करने के बाद मुझे इस मेले को देखने का सौभाग्य मिला है और यहां आकर मुझे काफी अच्छा लग रहा है।
सं.सतीश
वार्ता
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