भारतPosted at: Mar 27 2019 7:08PM साधु संत करें हृदय संबंधी बीमारियों के बारे में जागरुक:सत्यार्थी
नयी दिल्ली 27 मार्च (वार्ता) नोबल पुरस्कार विजेता एवं बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने राजनेताओं और साधु संतों से हृदय संबंधी बीमारियों के बारे आम लोगों को जागरुक बनाने का आह्वान करते हुए कहा है कि देश में प्रतिवर्ष तकरीबन ढाई लाख बच्चे ऐसी व्याधियों के साथ जन्म लेते हैं और इनमें से केवल पांच प्रतिशत का ही इलाज हो पाता है।
श्री सत्यार्थी ने मंगलवार देर शाम ‘सोसाइटी फॉर हार्ट फेलियर एंड ट्रांसप्लांटटेशन’ के चिकित्सकों के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बढ़ते हृदय संबंधी रोगों से केवल जागरुकता ही बचा सकती हैं।
उन्होेंने कहा कि भारतीय समाज में खान पान और रहन सहन में व्यापक बदलाव के कारण जीवन शैली संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। छोटे बच्चे ऐसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इनमें से कुछ जन्मजात रुप से ग्रसित होते हैं। उन्होेंने आंकडों के हवाले से बताया कि भारत में हर साल 2.5 लाख बच्चे हृदय संबंधी बीमारियों से जन्मजात पीड़ित होते हैं। इनमें से 95 प्रतिशत बच्चों का इलाज नहीं हो पाता है और वे असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं।
श्री सत्यार्थी ने कहा कि जीवन शैली से संबंधित बीमारियों से बचाने में राजनेता और साधु संत प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। ये लोग अपनी पहुंच और प्रभाव का इस्तेमाल आम जनता को हृदय संबंधी बीमारियों से बचाने में कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सक इस घातक बीमारी से बच्चों तथा लोगों का जीवन बचाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन बचाव और सतर्कता सबसे बड़ा इलाज है।
उन्हाेंने कहा कि बच्चे इस बीमारी के लिए जिम्मेदार नहीं है और अपने परिवारों की गरीबी के कारण असमय मर जाते हैं। हृदय राेग चिकित्सकों को इसका समाधान तलाशना चाहिए और इन गरीब बच्चों काे जीवन दान देना चाहिए। इसे लेकर देश में एक अभियान चलाया जा सकता है।
सत्या उनियाल
वार्ता