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भारत


पुस्तक ‘-शाहदाजे-सा शहर था’ को सिरहाने रखते थे प्रणव दा: डॉ वली

नयी दिल्ली, 31 अगस्त (वार्ता) पुस्तकों से बेहद लगाव रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एक अद्वितीय शख्सियत थे और वह अपनी कई बेमिसाल खूबियों के लिए सदियों लोगों के दिलों पर राज करेंगे।
श्री मुखर्जी के पूर्व निजी चिकित्सा सलाहकार डॉ़ एम वली ने सोमवार को ‘यूनीवार्ता’ से यहां कहा, “एक दिन में मोटी -मोटी पुस्तकों को चट कर जाने वाले प्रणव दा को किताबों से बहुत लगाव था। जो पुस्तके उन्हें पसंद थी उन्हें वह अपने सिरहाने रखते थे। उन्हें पत्रकार डॉ आशा मिश्रा उपाध्याय की पुस्तक ‘शाहजादे -सा शहर था ’ बहुत पंसद थी और उसे उन्होंने कई दिनों तक अपने सिरहाने रखी। उनके पास बहुत-सी पुस्तकें आती थी लेकिन बहुत कम किताबें ऐसी होती थी जिन्हें वह अपने सिरहाने रखते थे। उन्होंने पत्रकार से कहा भी था कि उन्हें पुस्तक का शीर्षक बहुत पसंद है और वह उसे पूरा पढ़ेंगे। विमान में भी पुस्तकें उनके हाथ में होती थीं।”
उन्होंने कहा,“प्रणव दा केवल इसलिए नहीं याद किये जायेंगे कि वह देश के प्रथम पुरुष थे। उनमें कई ऐसे गुण कूट-कूटकर भरे थे जिसके कारण उन्हें देश सदियों याद करेगा। चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया से मशहूर श्री मुखर्जी को अपने सर्वोच्च पद का जरा भी गुमान नहीं था। हमारे पूर्व राष्ट्रपति सादगी, विनम्रता एवं ज्ञान के भंडार थे और नियम के एकदम पक्के।”
उन्होंने श्री मुखर्जी के मधुर व्यवहार में खाेते हुए कहा,“ मुझे जरा भी नहीं लगा कि मैं देश के राष्ट्रपति का निजी चिकित्सक हूं। वह मेरे साथ अपने परिवार के सदस्य की तरह व्यवहार करते थे। मैं 2012 से 2017 तक उनके साथ रहा और मुझे उन्हें बहुत करीब से जानने-समझने का मौका मिला। वह सुबह नियमपूर्वक टहलते थे और हर हाल में दोपहर को आधे घंटे की झपकी लेते थे। वह खाना बहुत कम खाते थे और एकदम तंदुरुस्त थे। उनकी याददाश्त गजब की थी। वह पिछले 50 साल के चुनाव के बारे में सब कुछ बता देते थे ,जैसे किस साल में किस सीट से किसने जीत हासिल की, किसकी और कैसी सरकार बनी। वह कोई भी ऐसी बात नहीं करते थे जो पॉलिटिकली गलत हो। वह गुस्सा बिल्कुल नहीं करते थे और अगर ऐसी कोई बात होती भी थी तो वह सीधे नहीं कहकर अपने सचिव से संदेश भिजवाते थे। वाकई वह बेमिसाल इंसान थे। कैसे भूलेंगे उन्हें हम।”
श्री मुखर्जी का आज निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और कई दिनों से सेना के आर एंड आर अस्पताल में भर्ती थे।
आशा.श्रवण
वार्ता
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