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जनहित में निहित स्वार्थों से ली जा रही है राजकीय भूमि :मुख्य सचिव

जम्मू 03 फरवरी (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ अरुण कुमार मेहता ने टिप्पणी की है कि राज्य की अतिक्रमित भूमि को केवल सार्वजनिक उपयोग के लिए वापस करने के उद्देश्य से बड़े निहित स्वार्थी तत्वों से वापस लिया जा रहा है।
डा. मेहता अतिक्रमण विरोधी अभियान को कारगर बनाने के लिए किए जा रहे उपायों का जायजा लेने के लिए केंद्र शासित, मंडल और जिला प्रशासन की बैठक में बोल रहे थे।
डॉ मेहता ने कहा कि इन उपायों का उद्देश्य आम लोगों की मदद करना है। उन्होंने देखा कि यह भूमि सामूहिक रूप से जनता की है और पुनः प्राप्त भूमि का उपयोग उन सभी के लाभ के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को आम लोगों के अधिकारों को हड़पने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
मुख्य सचिव ने कहा कि इस तरह के उपायों को जनता द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए क्योंकि पुनर्प्राप्त भूमि का उपयोग सार्वजनिक उपयोगिता जैसे कि अस्पताल, स्कूल, खेल के मैदान, बस स्टैंड, उद्योग, पार्किंग स्थल आदि के लिए किया जाएगा। यह जम्मू-कश्मीर में सर्वांगीण विकास को गति देगा।
मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे गरीबों और दलितों के आवासों और आजीविका की सुरक्षा करें। उन्होंने इन जमीनों पर जल्द से जल्द विकास कार्य करने के लिए डीपीआर विकसित करने का आह्वान किया ताकि इन प्रयासों का फल जनता तक पहुंचे।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वेच्छा से कब्जा की गई जमीन को छोड़ रहे हैं। उन्होंने उनसे कहा कि वे दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करें और अपनी गवाही लिखित रूप में दें। मुख्य सचिव ने आईटी विभाग को सभी जिलों में प्राप्त की गई राज्य/कचहरी/सामान्य भूमि की वास्तविक मात्रा को दर्शाने के लिए एक समर्पित पोर्टल बनाने और उनकी जानकारी के लिए इसे सार्वजनिक डोमेन में डालने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राजस्व विभाग को इन सार्वजनिक संपत्तियों की भू-संदर्भित करने की सलाह दी ताकि अस्पष्टता के बिना जनता के लिए इसे संरक्षित रखा जा सके।
संजय
वार्ता
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