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छात्रों को प्रेरित करने को पाठ्यपुस्तकों में पैरा एथलीट चंदीप की प्रेरक कहानी

(विशाल भारती से)
जम्मू ,27 मई (वार्ता) एक पुरानी कहावत है- जहां चाह, वहां राह- और यह जम्मू-कश्मीर के एक पैरा एथलीट बहादुर चंदीप सिंह के लिए अच्छी तरह से फिट बैठता है, जो कई लोगों के लिए ना केवल रॉल मॉडल हैं बल्कि एक ‘प्रेरणा’ स्राेत भी हैं।
जम्मू - कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (जेकेबीओएसई ) ने आठवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के ‘सामाजिक बहिष्कार और जम्मू-कश्मीर में समावेशी नीति अध्याय में उनकी संक्षिप्त सफलता की कहानी पेश की गयी है।
जम्मू जिले के रहने वाले चंदीप सिंह ने वर्ष 2011 में बिजली के झटके के कारण दोनों हाथ खो दिए लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी विकलांगता को विशेष क्षमता में बदल दिया, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 139-140 पर प्रकाशित वास्तविक जीवन नायक के बारे में एक संक्षिप्त विवरण है।साथ ही स्केट्स पर एक्शन में पैरा-एथलीट की तस्वीर भी प्रकाशित की गयी है।
चंदीप कुछ लोगों के लिए विशेष रूप से सक्षम हो सकते हैं, लेकिन उन हजारों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो उन्हें खेल के अभ्यास के साथ-साथ दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या का प्रदर्शन करते हुए देखते हैं।
चंदीप की शुरुआत स्केटिंग से हुई। वर्ष 2021 में चंदीप सिंह तुर्की के इस्तांबुल में पैरा वर्ल्ड ताइक्वांडो चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले पैरा एथलीट बन गए।
चैंपियन ने दक्षिण कोरिया में किमुनयोंग कप ताइक्वांडो चैंपियनशिप में भी दो स्वर्ण पदक जीते और 2019-लोकसभा चुनावों में उन्हें जिला जम्मू का आधिकारिक ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया।
चंदीप ने ‘यूनीवार्ता’ से बातचीत में खुशी व्यक्त की और आठवीं राजनीति विज्ञान पुस्तक में उनकी सफलता की कहानी पर एक पैराग्राफ प्रकाशित करने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की सराहना की। पैरा-एथलीट ने कहा,“अगर कोई मेरे जीवन से प्रेरित होता है, तो यह निश्चित रूप से मुझे और प्रेरित करता है तथा मुझे मजबूत बनाता है।”
उन्होंने कहा,“अगर छात्र अपनी पाठ्यपुस्तक में मेरी कहानी पढ़कर प्रेरित होते हैं तो मुझे बहुत खुशी होगी। विशेष रूप से सक्षम होने के बावजूद, अगर मैं युवा दिमाग को प्रेरित कर सकता हूं, तो यह मुझे बहुत प्रोत्साहित भी करता है।”
चंदीप, जो अब एक पेशेवर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पूरा कर चुके हैं) बन गए हैं, युवाओं को प्रेरित करने के लिए स्थानीय हस्तियों के संघर्ष और जीवन को प्रकाशित करने के लिए जेकेबीओएसई की सराहना करते हैं।
चंदीप ने कहा,“ऐसी कहानियां न केवल छात्रों को प्रोत्साहित करती हैं बल्कि समाज उन चुनौतियों के बारे में भी जानता है जिनका सामना हम कठिन समय से करते हैं और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आघात से बाहर निकलते हैं, जो कभी भी आसान नहीं था।”
जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के निदेशक (शिक्षाविद) प्रो. सुधीर सिंह ने कहा,“जिस तरह से चंदीप ने अपने नुकसान को एक अवसर में बदल दिया और खुद को धीरे-धीरे निराशा में नहीं जाने दिया, वह सराहनीय है। वह सीखने और सिखाने के लिए एक सबक है जो सकारात्मकता से भरा हुआ है।”
प्रोफेसर ने कहा,“हमारी पीढ़ी को उनके दृढ़ संकल्प के बारे में पता होना चाहिए। यह केवल उनके पदकों के बारे में नहीं है, बल्कि जिस प्रेरणा से उन्होंने खुद को ऊपर उठाया, वह हमारे भविष्य के बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी।” उन्होंने कहा,“ऐसी कहानियां लोगों पर जोर देती हैं और खोए हुए आत्मविश्वास को बहाल करने और समाज में शामिल करने में मदद करने के लिए एक चुनौती के रूप में अपनाई जाती हैं।”
प्रोफेसर सिंह ने कहा,“कक्षा आठवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में एक छोटी -सी सफलता की कहानी पेश करने के पीछे विचार यह है कि इस उम्र में बच्चे एक संक्रमण चरण में हैं, भावनात्मक उथल-पुथल और दबाव का सामना कर रहे हैं तथा ऐसी कहानियां उन्हें जीवन को उस तरह से लेने और कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करती हैं।”
संजय,आशा
वार्ता
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