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व्यापमं मामले में एक दर्जन से अधिक के खिलाफ आरोपपत्र पेश

भोपाल, 14 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रवेश से संबंधित प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) 2010 के दौरान हुयीं गड़बड़ियों के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आज यहां अदालत में एक दर्जन से अधिक आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र पेश किया।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रकाश डामोर की अदालत में सीबीआई ने सत्रह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र पेश किए।
सीबीआई के अधिवक्ता सतीश दिनकर के अनुसार सागर के परीक्षा केंद्र में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की ओर से सितंबर 2010 को पीएमटी परीक्षा आयोजित की गई थी। लिखित परीक्षा के बाद परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग के दौरान कुछ परीक्षार्थियों के चेहरे उनके प्रवेश पत्रों और अन्य संलग्न दस्तावेजों से मिलान नहीं हुए।
इस मामले की प्रारंभिक पड़ताल के बाद एक विशेष समिति ने मामला भोपाल पुलिस को लिखित आवेदन के साथ सौंप दिया। समिति की शिकायत के आधार पर भोपाल के एमपी नगर थाने में 14 सितंबर 2010 को अभ्यर्थी अजमेर सिंह बघेल, नीरज यादव, विनय कुमार शाक्य और रामकुमार शाक्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया।
जांच के दौरान परीक्षा में दलाल के रूप में भूमिका निभाने वाले डाॅ. विनोद शाक्य, गजेन्द्र सिंह, नीलेश गुप्ता, विद्यवासिनी कुमार, श्रीराम शाक्य, नरेश राजपूत , देवीसिंह नरवैया के खिलाफ भी कार्रवाई की गयी और इन सभी के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र पहले ही पेश कर दिया गया था। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद मामले की जांच कुछ सालों पहले सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने पूर्व में बनाए गए 11 आरोपियों और 6 नए आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी करने के बाद चालान पेश किया है।
सं प्रशांत
वार्ता
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